एक बार फिर कोविड की वापसी की आहट के बीच समस्तीपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई है। ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर किए गए मॉक ड्रिल में सदर अस्पताल का पीएसए ऑक्सीजन प्लांट सक्रिय नहीं हो सका। इससे आपातकालीन स्थितियों में अस्पताल की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

31 मई को राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर समस्तीपुर सहित बिहार के सभी जिलों के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच के लिए मॉक ड्रिल कराया गया। समस्तीपुर सदर अस्पताल में मॉक ड्रिल के दौरान प्रभारी डीएस डॉ. गिरीश कुमार ने कई बार प्लांट को चालू करने का प्रयास किया, लेकिन प्रत्येक बार विफलता हाथ लगी। यह तीसरी बार है जब मॉक ड्रिल में प्लांट सक्रिय नहीं हो सका।

गौरतलब है कि अस्पताल में फिलहाल कोई कोविड संक्रमित मरीज नहीं है, लेकिन ऑक्सीजन आपूर्ति के मुख्य स्रोत के बार-बार फेल होने से चिंता बढ़ गई है। वर्तमान में अस्पताल को ऑक्सीजन सिलेंडरों और कंसंट्रेटर मशीनों के सहारे काम चलाना पड़ रहा है।

इससे पहले मुंबई से आई तकनीकी टीम ने प्लांट की मरम्मत के लिए लगभग 41 लाख रुपये के खर्च का आकलन किया था, जिसमें मॉलिक्यूलर सिव, सेपरेटर, ऑयल, एयर-ऑयल फिल्टर और टैक्स शामिल था। हालांकि 250 केवीए क्षमता का डीजी सेट लगाया गया, लेकिन प्लांट का कंप्रेसर पर्याप्त लोड नहीं ले पा रहा है। इसके अलावा प्योरिटी मशीन का सेंसर भी ठीक से कार्य नहीं कर रहा है।

डॉ. गिरीश कुमार द्वारा स्वास्थ्य विभाग को बार-बार पत्र भेजकर समस्या से अवगत कराया गया है, पर समाधान अब तक नहीं निकल सका है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्लांट की खराबी और संभावित खर्च को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर विभाग को भेजी जाएगी।


राज्य में फिलहाल 22 एक्टिव कोविड केस हैं, जबकि एनएमसीएच में मिले तीन संदिग्धों की रिपोर्ट अभी तक शामिल नहीं की गई है। यदि उनकी पुष्टि होती है, तो यह संख्या 25 तक पहुंच सकती है।

