Samastipur News: समस्तीपुर में कलश स्थापना के साथ पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा.

शारदीय नवरात्र की शुरुआत बृहस्पतिवार से हो गई। इस बार देवी का आगमन डोली पर हुआ है। माता का डोली पर आना शुभ नहीं माना जाता। समस्तीपुर के भागवत कथा-वाचक पंडित विजयशंकर झा ने बताया कि शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा हुई। इन्हें माता सती के रुप में भी जाना जाता है।

   

दक्ष प्रजापति की पुत्री के रुप में भी जानी जाती हैं। इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था। एक बार दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का अपमान किया। उसके बाद एक यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में सभी देवताओं को बुलाया गया। दक्ष की सभी पुत्रियों को बुलाया गया परन्तु भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया गया। माता सती पिता से नहीं बुलाए जाने के बाद भी अपने मायके चली गई। भगवान शिव की इच्छा के विरुद्ध चली गई।

 

वहां मायके में सती से माता के अतिरिक्त किसी ने बात नहीं की। सती के सामने ही दक्ष ने भगवान शंकर के लिये कटु वचन कहना प्रारंभ किया। इससे दुखी होकर माता सती ने योगाग्नि में स्वयं का दाह कर लिया। और दूसरे जन्म में भगवान शंकर को ही पति रुप में प्राप्त करने का भगवान शंकर से ही वरदान प्राप्त कर लिया।

   

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