समस्तीपुर। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में अकादमिक श्रेष्ठता और अनुसंधान की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए गुरुवार को एक मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. पी.एस. पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय ने सभी की सहभागिता से एनआईआरएफ और आईआईआरएफ समेत विभिन्न राष्ट्रीय रैंकिंग में बेहतर स्थान हासिल किया है। उन्होंने कहा कि अच्छी रैंकिंग से जिम्मेदारी और बढ़ गई है कि आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय और ऊंचे स्थान पर पहुंचे। कुलपति ने विश्वास जताया कि इस मंथन कार्यक्रम से प्राप्त सुझावों से विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान मिलेगी।

उन्होंने बताया कि अब विश्वविद्यालय के सभी कार्य ई-ऑफिस के माध्यम से पूर्ण पारदर्शिता के साथ हो रहे हैं और अधिकांश अकादमिक व अनुसंधान गतिविधियां डिजिटल हो चुकी हैं। आने वाले समय में शेष प्रक्रियाएं भी डिजिटल कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि अनुसंधान की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है और लगभग सभी शोध किसानों की समस्याओं पर केंद्रित हैं, जिससे भविष्य में किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। कुलपति ने यह भी उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय डिजिटल एग्रीकल्चर और ड्रोन तकनीक में पूर्वी भारत का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. के. वीरेंजनेलु ने सरकारी आंकड़ों के हवाले से कहा कि पूसा कृषि विश्वविद्यालय देशभर के अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में सबसे तेज प्रगति कर रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि यही प्रगति जारी रही तो विश्वविद्यालय बहुत जल्द देश में शीर्ष स्थान पर होगा। उन्होंने प्राध्यापकों से उच्च स्तरीय जर्नल्स में शोध पत्र प्रकाशित करने पर जोर दिया।

डॉ. जयंकृष्ण झा, प्रबंधन बोर्ड सदस्य, ने कहा कि विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा पूरे देश में हो रही है और यह गौरव की बात है। कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय कुमार ने जानकारी दी कि पिछले तीन वर्षों में विश्वविद्यालय को 13 से अधिक पेटेंट मिले हैं, 23 फसलों के नए प्रभेद जारी किए गए हैं, 400 से अधिक ड्रोन पायलटों को प्रशिक्षित किया गया है और छात्र राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके हैं।

रैंकिंग कमिटी के चेयरमैन और मत्स्य महाविद्यालय के डीन डॉ. पी.पी. श्रीवास्तव ने रैंकिंग सुधार के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। वहीं निदेशक अनुसंधान डॉ. ए.के. सिंह ने शोध गुणवत्ता सुधार के उपायों पर चर्चा की और निदेशक शिक्षा डॉ. उमाकांत बेहरा ने विश्वविद्यालय की शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ बनाने की कार्ययोजना प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में रैंकिंग समिति के सभी सदस्यों को सम्मानित किया गया। निदेशक पीजीसीए ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और अतिथियों का स्वागत किया, जबकि कृषि व्यवसाय एवं ग्रामीण प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ. रामदत्त ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

इस अवसर पर डीन कम्युनिटी साइंस डॉ. उषा सिंह, डीन बेसिक साइंस डॉ. अमरेश चंद्रा, डॉ. घनश्याम झा, डॉ. महेश कुमार, डॉ. शिवपूजन सिंह, डॉ. कुमार राज्यवर्धन समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न शिक्षक, वैज्ञानिक और पदाधिकारी उपस्थित रहे।

