Bihar Rojgar Mela : बिहार चुनाव में रोज़गार और नौकरियों का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभर रहा है। जहाँ नीतीश सरकार ने अगले 5 सालों में एक करोड़ से ज़्यादा नौकरियाँ और रोजगार देने का दावा किया है, वहीं अब महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने भी शनिवार को पटना के ज्ञान भवन में महा रोज़गार मेला आयोजित किया। हज़ारों की संख्या में युवा वहाँ पहुँचे। रोज़गार की तलाश में युवाओं की भारी भीड़ मेले में पहुँची। इस मेले में कई विश्व-प्रतिष्ठित कंपनियों ने हिस्सा लिया और राज्य के हज़ारों युवाओं को रोज़गार के अवसर प्रदान किए।

इस अवसर पर कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि बिहार में नौकरियाँ और पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है। जिसे हमने ‘नौकरी दो, पलायन रोको यात्रा’ के ज़रिए उठाया है। एक ज़िम्मेदार विपक्ष होने के नाते हम न सिर्फ़ समस्याओं को उजागर कर रहे हैं, बल्कि समाधान भी ढूंढ रहे हैं। विपक्ष में रहते हुए रोज़गार मेला बिहार के आम लोगों को रोज़गार देने की हमारी एक छोटी सी कोशिश है। अगर हम सत्ता में आए तो यही काम लाखों की संख्या में करेंगे।


अल्लावरु ने कहा कि रोज़गार मेले में काफ़ी आवेदन आए हैं। चयन का काम निजी कंपनियों का है। हमारा काम निजी कंपनियों और युवाओं को एक साथ लाना है। युवाओं की क्षमता और कंपनियों की ज़रूरतों के हिसाब से नौकरियाँ ज़रूर दी जाएँगी। हमारी कोशिश समस्या का समाधान निकालने की है। भले ही कुछ हज़ार युवाओं को ही नौकरी मिले। लेकिन हमारी सरकार बनी तो हम और मज़बूती से समस्या का समाधान निकालेंगे।


उधर, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कांग्रेस के रोज़गार मेले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि तथाकथित रोज़गार मेले की असलियत अब सबके सामने आ गई है। जिस आयोजन को युवाओं के भविष्य से जोड़ा जा रहा था, वह महज़ चुनावी ड्रामा निकला। हकीकत यह है कि कांग्रेस के इस मेले में उम्मीदवारों से उनके विधानसभा क्षेत्र के बारे में पूछा जा रहा है। सवाल साफ़ है, क्या नौकरी देने के लिए योग्यता देखी जा रही है या वोट बैंक की राजनीति?


