क्या आपने कभी सोचा है कि रोज़ाना की हल्की-फुल्की हंसी किस तरह ज़िंदगी को बेहतर बना सकती है? बिहार में हाल ही में हुए एक अध्ययन ने यह दिलचस्प तथ्य उजागर किया है कि महिलाएं, पुरुषों की तुलना में, अधिक खुशमिजाज होती हैं और यह आदत उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालती है।

मार्च 2025 में राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाले लेकिन सुकून देने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस सर्वे में बिहार के 5 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया, जिसमें लगभग 30 लाख महिलाएं थीं। निष्कर्ष बताते हैं कि राज्य की 65% महिलाएं रोज़ाना दो से तीन घंटे हंसी-ठिठोली में बिताती हैं, जबकि केवल 35% पुरुष ही नियमित रूप से आधा घंटा हंसने के मूड में रहते हैं।

15 से 50 वर्ष तक की आयु वाली महिलाओं को शामिल करने वाले इस सर्वे में सबसे ज्यादा हंसमुख महिलाएं 30 से 45 वर्ष की आयु वर्ग में मिलीं। इनमें से अधिकतर गृहिणियां और नौकरीपेशा महिलाएं थीं। दिलचस्प बात यह रही कि 20 लाख से अधिक महिलाओं ने बताया कि उनके जीवन की मुस्कान की सबसे बड़ी वजह उनके बच्चे हैं। वे ऑफिस के तनाव से भी बच्चों से बातचीत कर मुस्कराकर उबर जाती हैं।

एक अन्य प्रमुख पहलू यह था कि 10 लाख से अधिक महिलाएं अपने सहकर्मियों के साथ हंसते हुए समय बिताना पसंद करती हैं। चाहे घर का काम हो या दफ्तर की भागदौड़—ये महिलाएं छोटे-छोटे तनावों को बातों-बातों में हल कर लेती हैं।

स्वास्थ्य पर इसका असर भी देखा गया। अध्ययन के अनुसार, तीन लाख से अधिक महिलाएं जो पहले माइग्रेन, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से ग्रस्त थीं, उन्होंने नियमित रूप से हंसने और ‘लाफ्टर योगा’ करने के बाद इन समस्याओं से राहत पाई। विशेषज्ञों का मानना है कि हंसी मानसिक तनाव को कम करती है और इससे शरीर में सकारात्मक हार्मोन का स्राव होता है।

मनोवैज्ञानिक कुमुद श्रीवास्तव के अनुसार, “हर दिन 15 से 20 मिनट हंसने से व्यक्ति का मानसिक तनाव घटता है और उसका मन प्रसन्न रहता है। यह शरीर में ऊर्जा का संचार करता है, और इसका असर चेहरे की चमक से लेकर दिल की सेहत तक देखा जा सकता है।”

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 10 लाख महिलाएं सुबह या शाम टहलने के बजाय सिर्फ हंसी को अपनी फिटनेस थेरैपी मानती हैं। 20 मिनट की हंसी को 25 मिनट की वॉक के बराबर माना गया है।

