उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के साइनेज को अभी तक बदला नहीं जा सका है। इसके ऊपर बिहार ग्रामीण बैंक का फ्लैक्स लगाकर काम चलाया जा रहा है। बैंक से जुड़े लोग बताते हैं कि अभी तक बैंक का ‘लोगो’ फाइनल नहीं हो सका है। इसलिए बैंक के नाम का साइनेज नहीं बनाया जा सका है।

उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का विलय बीते एक मई 2025 को हो गया। दोनों बैंकों के विलय के बाद बिहार ग्रामीण बैंक बन गया है, लेकिन अब भी इनका एकीकृत परिचालन शुरू नहीं हो सका है। दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के किसी शाखा से उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के किसी शाखा में विलय के बावजूद पैसा ट्रांसफर नहीं हो रहा है।

इसके लिए बैंक के ग्राहकों को आरटीजीएस या एनईएफटी करना पड़ रहा है। ग्रामीण बैंक से जुड़े अधिकारियों के अनुसार अभी सॉफ्टवेयर और डाटा सिन्क्रोनाइजेशन का काम पूरा नहीं हुआ है। इसके कारण अभी एकीकृत परिचालन शुरू नहीं हो सका है। हालांकि उम्मीद है कि दोनों बैंकों के सॉफ्टवेयर का मर्जर सितंबर तक हो जाएगा।

बैंक में पूछताछ करने पहुंच रहे ग्राहक
ग्रामीण बैंकों में विलय के बाद बैंक शाखाओं में ग्राहक कई तरह की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं। बैंक अधिकारी बताते हैं कि बैंक में आने वाले ग्राहक सबसे ज्यादा बैंक विलय के बाद बैंक खाता नंबर या बैंक का आईएफएससी कोड बदलने के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न योजनाओं में कर्ज की ब्याज दरों में अंतर जैसे सवाल भी बैंककर्मियों से पूछ रहे हैं।

विलय के बाद अभी दोनों बैंकों के बीच ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं हो रही है। इसे लेकर बैंककर्मियों को बताया जा रहा है कि एक बार दोनों बैंकों का एकीकरण हो जाए। इसके बाद बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों का ट्रांसफर आदि कार्य भी अन्य बैंकों की तरह हो सकेगा।
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– रणवीर आनंद, महासचिव, ऑल इंडिया रिजनल रूलर बैंक इम्पलॉय एसोसिएसशन
ग्रामीण बैंक के विलय के बाद आ रहीं समस्याएं अगले कुछ महीने में ठीक हो जाएगी। सितंबर तक डाटा सिंक्रोनाइजेशन का काम पूरा होने की उम्मीद है। बैंक आने वाले ग्राहकों को बताया जा रहा है कि अभी ना तो बैंक खाता नंबर और ना ही आईएफएससी कोड में ही कोई बदलाव हुआ है।
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-राहुल वत्स, महामंत्री, ऑल इंडिया ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स ऑर्गेनाइजेशन

