Samastipur News: उत्तर बिहार के कई जिलों में 10 जुलाई तक बारिश की संभावना.

मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, उत्तर बिहार में आगामी दिनों में मौसम में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेगा। विभाग ने छह जुलाई से 10 जुलाई तक उत्तर बिहार के कई क्षेत्रों में मध्यम से भारी बारिश की संभावना व्यक्त की है। इस अवधि में तापमान में मामूली गिरावट हो सकती है, हालांकि आठ जुलाई से तापमान में दो-तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है। आठ जुलाई के बाद अधिकतम तापमान 32 से 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 26 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है।

   

मौसम विभाग के अनुसार, राज्य के उत्तर, दक्षिण मध्य, और दक्षिण-पश्चिम भागों के जिलों में, विशेष रूप से मधुबनी और आसपास के क्षेत्रों में सात जुलाई को भारी बारिश हो सकती है। इस दौरान मेघगर्जन और वज्रपात की भी संभावना है। आठ जुलाई को पश्चिम-चंपारण के एक या दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। नौ जुलाई को उत्तर-पूर्वी और भागलपुर भाग के जिलों में एक या दो स्थानों पर भारी बारिश की संभावना है। दस जुलाई को सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्व-चंपारण, पश्चिम-चंपारण, मधुबनी, और उत्तर-पूर्वी जिलों में भारी बारिश हो सकती है।

बीते शनिवार को रुक-रुक कर बारिश होती रही, जिसमें 18.8 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। हल्की बारिश वाले क्षेत्रों में ऊचांस जमीन पर सूर्यमुखी की बुआई के लिए मौसम अनुकूल है। मोरडेन, सूर्या, सीओ-1 और पैराडेविक सूर्यमुखी की उन्नत किस्में हैं, जबकि केबीएसएच-1 और केबीएसएच-44 संकर किस्में हैं। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 100 क्विंटल कम्पोस्ट, 30-40 किलो नेत्रजन, 80-90 किलो स्फुर और 40 किलो पोटाश का उपयोग करें। संकर किस्मों के लिए बीज दर 5 किलो और संकुल किस्मों के लिए 8 किलो प्रति हेक्टेयर रखें।

 

अरहर की बुआई के लिए ऊचांस जमीन का उपयोग करें। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलो नेत्रजन, 45 किलो स्फुर, 20 किलो पोटाश और 20 किलो सल्फर का उपयोग करें। बहार, पूसा 9, नरेंद्र अरहर 1, मालवीय-13, और राजेन्द्र अरहर 1 जैसी किस्में बुआई के लिए अनुशंसित हैं। बीज दर 18-20 किलो प्रति हेक्टेयर रखें और बुआई से 24 घंटे पूर्व बीज को 2.5 ग्राम धीरम दवा से उपचारित करें। बुआई के ठीक पहले उपचारित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से भी उपचारित कर लें।

उत्तर बिहार के किसानों को सलाह दी जाती है कि वे मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करें और अपनी फसलों की बुआई एवं देखभाल के दौरान उचित सावधानियां बरतें।

   

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