2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में नौकरी की गारंटी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही बिहार की एनडीए सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार यह दावा किया कि उनके दबाव के कारण नीतीश सरकार ने पिछले डेढ़ साल में 5 लाख नौकरियां दी हैं। लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद, बिहार सरकार ने तुरंत नौकरी के नए अवसरों की घोषणा की है।
एनडीए सरकार ने खाली पदों को भरने का निर्णय लिया है और दो दिनों में ही 59042 पदों का विज्ञापन जारी कर दिया है। इनमें से 43432 पद स्वास्थ्य विभाग में हैं, जबकि पंचायती राज विभाग में 15610 पद हैं। पंचायती राज विभाग में कुल स्थायी पदों की संख्या 4351 है और अस्थायी पदों की संख्या 11259 है। स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर 5740 पद भरे जा रहे हैं, जिनमें डॉक्टर, नर्स, एएनएम, और फार्मासिस्ट शामिल हैं। आचार संहिता हटाए जाने के तुरंत बाद, स्वास्थ्य विभाग ने नौकरियों की घोषणा की।
तेजस्वी यादव द्वारा नौकरी और रोजगार के मुद्दे पर एनडीए को चुनौती देने के कारण, बिहार सरकार को नौकरियों की गारंटी देने पर मजबूर होना पड़ा है। लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे पर बीजेपी को नुकसान हुआ है, और इसी कारण से अब एनडीए सरकार नौकरी के एजेंडे पर तेजी से काम कर रही है। स्वास्थ्य और पंचायती राज विभाग, जो बीजेपी कोटे के मंत्रियों के अधीन हैं, में नौकरियों की जल्दबाजी से घोषणा की गई है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनावों में नौकरी और रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष के हमलों से बचना है।
2025 के विधानसभा चुनाव में, नौकरी की गारंटी के इस एजेंडे के तहत एनडीए सरकार अपने वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है। बिहार में नौकरियों के नए अवसरों की घोषणा से स्पष्ट है कि आने वाले चुनावों में रोजगार का मुद्दा केंद्र में रहेगा, और इसे लेकर राजनीतिक दलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी।