बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) की परीक्षा में गड़बड़ियों के चलते इसे रद्द कर दिया गया है। रविवार और सोमवार को होने वाली परीक्षाएं रद्द कर दी गईं, जिससे 4,500 पदों पर बहाली की प्रक्रिया में देरी हो गई है। पटना पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई की छापेमारी में सॉल्वर गैंग और प्रॉक्सी सर्वर जैसी अनियमितताओं के प्रमाण मिले हैं, जो इस फैसले की मुख्य वजह बने। राज्य स्वास्थ्य समिति ने रविवार को हुई परीक्षा और सोमवार को प्रस्तावित परीक्षा को रद्द करने की घोषणा की है। समिति के अनुसार, नई तारीखों की घोषणा जल्द ही की जाएगी। यह कदम परीक्षा केंद्रों पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों के खुलासे के बाद उठाया गया।
छापेमारी में क्या-क्या हुआ उजागर?
पटना के सभी 12 परीक्षा केंद्रों पर रविवार को छापेमारी की गई। पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने पाया कि सॉल्वर गैंग ने प्रॉक्सी सर्वर और रिमोट व्यू एप्लीकेशन का इस्तेमाल करके ऑनलाइन परीक्षा में अवैध हस्तक्षेप किया। डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने बताया कि रियल-टाइम पेपर सॉल्व करने के लिए आईटी मैनेजर और परीक्षा कोऑर्डिनेटर की भूमिका संदिग्ध है।
पुलिस ने 37 संदिग्धों को हिरासत में लिया है और उनसे गहन पूछताछ की जा रही है। चैट और ऑडियो सबूतों के आधार पर जांच एजेंसियों को अहम सुराग मिले हैं। इस दौरान परीक्षा केंद्रों पर अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए परीक्षा में हेराफेरी के ठोस सबूत भी बरामद हुए।
परिजनों का हंगामा और जांच का दायरा
पकड़े गए संदिग्धों के परिजन ईओयू कार्यालय के बाहर जमा होकर नाराजगी जता रहे हैं। वहीं, पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई ने सोमवार को भी 12 नई जगहों पर छापेमारी की है। रामकृष्ण नगर थाना प्रभारी अवधेश सिंह ने बताया कि कुछ सेंटरों पर गड़बड़ी की आशंका के आधार पर कार्रवाई की गई और संदिग्धों को हिरासत में लेकर ईओयू को सौंपा गया।
प्रभावित बहाली प्रक्रिया
CHO के 4,500 पदों पर बहाली के लिए यह परीक्षा आयोजित की जा रही थी। इस परीक्षा के रद्द होने से उम्मीदवारों को झटका लगा है। परीक्षा में हेराफेरी की घटनाओं ने प्रशासन और परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।