समस्तीपुर जिले में संविदा पर कार्यरत एएनएम, जीएनएम और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का कार्य बहिष्कार आंदोलन शुक्रवार को पांचवें दिन भी जारी रहा। इस आंदोलन ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया है, जिससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने कार्यस्थलों पर नारेबाजी करते हुए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि एफ आर ए एस सिस्टम अमानवीय है और इसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए। संघ के जिला मंत्री राजीव रंजन ने कहा कि ग्रामीण स्वास्थ्य उप केंद्रों में आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं, जिससे इस सिस्टम को लागू करना मुश्किल है। उन्होंने यह भी बताया कि महिला कर्मचारियों के लिए शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के कार्य बहिष्कार के कारण ग्रामीण स्वास्थ्य उप केंद्रों पर ओपीडी सेवाएं बंद हो गई हैं। टीकाकरण का कार्य भी ठप हो गया है, जिससे गर्भवती महिलाओं और बच्चों का उपचार प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा, सभी ऑनलाइन कार्य भी बाधित हो गए हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में और भी परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं।
संविदा कर्मियों का कहना है कि उन्हें पिछले चार महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। राजीव रंजन ने बताया कि जिले में करीब 1000 संविदा कर्मी आंदोलन पर हैं और अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी, तो नियमित कर्मी भी इस हड़ताल में शामिल हो सकते हैं, जिससे पूरे बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो सकती हैं।