आज से शुरू होने वाली कार्तिक अमावस्या का महत्व विशेष रूप से धर्म और परंपरा में गहराई से जुड़ा हुआ है। इस दिन दीपावली का पर्व मनाने के साथ-साथ देवी लक्ष्मी, माता काली और भगवान शिव की आराधना का भी विशेष महत्व है। समस्तीपुर में धार्मिक विद्वानों के अनुसार, यह दिन कई पौराणिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर माना जाता है।

आज दोपहर 3:22 बजे से शुरू हो रही अमावस्या तिथि को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या माना गया है, जो दीपावली मनाने के लिए उचित मानी जाती है। समस्तीपुर के विद्वान पंडित विजयशंकर झा के अनुसार, इसी दिन समुद्रमंथन के दौरान माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, जिससे धन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में यह दिन खास महत्व रखता है। इसी कारण इस दिन मां लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर जी की पूजा विशेष रूप से की जाती है।

शाम 6:28 से रात 8:24 बजे तक लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त निर्धारित किया गया है। मान्यता है कि इस दौरान लक्ष्मी जी के आह्वान से समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मध्य रात्रि में देवी काली, तारा और भुवनेश्वरी की पूजा का विशेष महत्व है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती हैं।

माता काली के भयंकर रूप का एक पौराणिक प्रसंग भी इस दिन से जुड़ा हुआ है, जब राक्षसों का संहार करते हुए उनका क्रोध शांत करने के लिए भगवान शिव उनके मार्ग में लेट गए थे। उनके चरण भगवान शिव की छाती पर पड़ते ही माता काली का क्रोध शांत हो गया था। इसलिए, अमावस्या के इस रात्रि में भगवान शिव और माता काली की पूजा का विशेष विधान है।
