Bihar

Supreme Court : बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने टाइमिंग पर उठाया सवाल, पूछे ये सवाल ?

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By Samastipur Today Desk

 


 

Supreme Court : बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने टाइमिंग पर उठाया सवाल, पूछे ये सवाल ?

 

Supreme Court : बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) शुरू होने को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इससे लाखों गरीब और वंचित लोगों का नाम मतदाता सूची से हट सकता है। कुछ विपक्षी दलों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। आज इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (ईसीआई) से सवाल किए। कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसे बहुत पहले शुरू किया जाना चाहिए था।

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे चुनाव आयोग के ऐसे किसी भी कदम से कोई दिक्कत नहीं है, समस्या इसके समय को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने का चुनाव आयोग का कदम तर्क और व्यावहारिकता पर आधारित है, लेकिन कोर्ट ने विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इस कवायद के समय पर सवाल उठाया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “एसआईआर प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन इसे समय पर पूरा किया जाना चाहिए था। अब जब विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं, तो इतनी बड़ी प्रक्रिया को 30 दिनों में पूरा करने की बात कही जा रही है। यह व्यावहारिक नहीं लगता।”

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि इस प्रक्रिया को कृत्रिम या काल्पनिक कहना सही नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ तर्क है।

अदालत ने आयोग से ये अहम सवाल पूछे:

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, “विशेष पुनरीक्षण के दौरान आप नागरिकता के सवालों में क्यों उलझ रहे हैं? यह गृह मंत्रालय (MHA) का अधिकार क्षेत्र है।” अदालत ने यह भी सवाल किया कि जब आधार एक वैध पहचान पत्र है, तो चुनाव आयोग इसे स्वीकार क्यों नहीं कर रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, “विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) में कोई बुनियादी समस्या नहीं है। लेकिन इसे चुनावों से स्वतंत्र और समय पर किया जाना चाहिए था।”

इतनी देर क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा, “जब यह प्रक्रिया पहले की जा सकती थी, तो इसे इतनी देर से क्यों शुरू किया गया?” आपको बता दें कि चुनाव आयोग पहले कह चुका है कि यह प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने तर्क दिया कि चुनाव से कुछ महीने पहले अचानक इतनी बड़ी कवायद करना अनुचित है। चुनाव आयोग आधार कार्ड स्वीकार नहीं कर रहा है और लोगों से उनके माता-पिता के दस्तावेज़ भी मांग रहा है। यह पूरी प्रक्रिया मनमानी और भेदभावपूर्ण है और इसका उद्देश्य मतदाताओं को सूची से बाहर करना है, विशेषकर गरीब, प्रवासी मजदूरों और कमजोर वर्गों को।

कई और याचिकाएं भी की गईं दायर :

बिहार में चुनाव से पहले एसआईआर कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, झामुमो, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के नेताओं की संयुक्त याचिका सहित कई नई याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गईं। राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की अलग-अलग याचिकाओं के अलावा, कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल, शरद पवार एनसीपी गुट से सुप्रिया सुले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से डी राजा, समाजवादी पार्टी से हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) से अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा से सरफराज अहमद और सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।