बिहार में स्मार्ट बिजली मीटर को लेकर राजनीतिक और सामाजिक विरोध तेज होता जा रहा है। जहां एक ओर सरकार इसे बिजली व्यवस्था को सुधारने वाला कदम बता रही है, वहीं विपक्ष और आम जनता इसे अतिरिक्त बोझ और परेशानी का कारण मान रहे हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान इस मुद्दे ने राजनीतिक गर्मी को और बढ़ा दिया है।
स्मार्ट मीटर के खिलाफ विपक्ष का प्रदर्शन
विधानसभा के चौथे दिन, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वाम दल के विधायकों ने सदन के बाहर स्मार्ट मीटर का विरोध किया। उन्होंने पोस्टरों और नारों के जरिए सरकार से तत्काल स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया रोकने और पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की मांग की। उनका कहना है कि स्मार्ट मीटर के कारण बिजली बिल में अचानक बढ़ोतरी हो रही है, जिससे आम जनता परेशान है।
राजद नेताओं ने यह चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो यह विरोध सदन से सड़कों तक पहुंच जाएगा। वहीं, एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान ने वक्फ संशोधन बिल का भी विरोध करते हुए प्रदर्शन किया।
सरकार का रुख
दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने विपक्ष के विरोध को निराधार बताते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर व्यवस्था पारदर्शिता और सस्ती बिजली सुनिश्चित करने के लिए लाई गई है। उनका दावा है कि स्मार्ट मीटर की वजह से लोगों के बिजली बिल कम हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि सरकार स्मार्ट मीटर हटाने के लिए तैयार नहीं है और विरोध को महज “राजनीतिक हल्ला” बताया।
जनता की राय
विरोध के बीच, आम जनता की राय बंटी हुई नजर आ रही है। कुछ लोग स्मार्ट मीटर को तकनीकी सुधार मानते हैं, जबकि कई लोग इसे अनावश्यक खर्च और असुविधा का कारण मानते हैं।