समय पर लोगों को चिट्ठी पत्री मिले, इसके लिए डाक विभाग सभी गली-मोहल्लों को लाइव लोकेशन से जोड़ने का काम कर रहा है। हर मकान को डिजि पिन (डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर) दिया जाएगा। इसके लिए डाक विभाग बिहार सर्किल ने पूरे राज्य के इलाकों की मैपिंग की है। एक करोड़ से अधिक गली व मोहल्लों की मैपिंग हो चुकी है। इस मैपिंग के माध्यम से सभी घरों की लाइव लोकेशन को डाला जाएगा। इससे डाकिया अपने मोबाइल से आसानी से देख कर निर्धारित जगह पर पहुंच सकेंगे।

बता दें कि अभी तक डाक विभाग का पिन कोड है। शहर के अलग-अलग इलाकों का अपना पिन कोड है। लेकिन अब डिजि पिन कोड होगा, इससे हर इलाके के हर घर को चिह्नित किया जाएगा। इसमें बिहार सर्किल के कुल 30 डिवीजन को शामिल किया गया है। बिहार सर्किल के सभी डिविजन की बात करें, तो आधा अधूरा पता होने के कारण 45 फीसदी चिट्ठियां, पार्सल निर्धारित जगह पर नहीं पहुंच पाती है। इसमें 30 से 35 फीसदी चिट्ठियां और पार्सल वापस आ जाता है। ऐसे में डिजिपिन से आधा अधूरा पता वाले चिट्ठियां भी पहुंच सकेगा। दस अंक के डिजि पिन में संबंधित गली मोहल्ले के साथ संबंधित घर को इंडिकेट किया जाएगा।

दस हजार डाकिया को मोबाइल लोकेशन देखने का प्रशिक्षण होगा
बिहार सर्किल में दस हजार से अधिक डाकिया है। इन सभी को मोबाइल लाइव लोकेशन से भी जोड़ा जाएगा। इसके साथ मोबाइल पर लाइव लोकेशन कैसे देखें इसके लिए इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। डाकिया को प्रशिक्षण डिविजन वार दिया जाएगा। जिससे चिट्ठी, पत्री या पार्सल का पता खोजने में डाकिया को परेशानी नहीं होगी और समय से पार्सल की डिलीवरी हो सकेंगी।

ये है डिजि पिन
डिजिपिन दस अंक का कोड है। इलाकों को डिजिटल एड्रेस सिस्टम से चार मीटर के दायरे में बांटा जाएगा। इससे किसी भी स्थान का सटीक डिजिटल पता मिल जाता है। इसे आईआईटी हैदराबाद व एनआरएससी इसरो के सहयोग से डाक विभाग ने विकसित किया है।

राज्य के सभी घरों को डिजी पिन दिया जाएगा। अभी तक पिन कोड होता था। इससे अधूरे पता आदि रहने पर डाकिया को पहुंचने में दिक्कत होती थी। लेकिन अब डिजी पिन से डाकिया लाइव लोकेशन के माध्यम से सही पता तक पहुंच सकेंगे।
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– एमयू अब्दाली, चीफ पोस्टमास्टर जनरल, बिहार सर्किल

