मध्याह्न भोजन योजना (मिड-डे मिल) से जुड़े रसोइयों के लिए मोबाइल फोन रखना अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य के लगभग दो लाख रसोइयों पर यह लागू होगा। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सभी रसोइयों का मोबाइल नंबर विभाग के पास हो और उनसे सीधा संपर्क करना आसान हो सके।

इस संबंध में राज्य के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को पत्र जारी किया गया है। मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक विनायक मिश्र ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को भेजे पत्र में कहा है कि विद्यालयों में कार्यरत रसोइया सह सहायक के मोबाइल नंबर की प्रविष्टि नहीं कराई गई है। इससे रसोइयों से सीधा संपर्क करने में परेशानी होती है। ऐसे में सभी कार्यरत रसोइयों से उनका मोबाइल नंबर लें और उसे प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) में अनिवार्य रूप से दर्ज करें। निदेशक ने सभी डीपीओ को 20 अगस्त तक संबंधित जिला अंतर्गत कार्यरत रसोइयों के मोबाइल नंबर की एंट्री अनिवार्य रूप से कराने को निर्देश दिया है।

65 हजार विद्यालयों में रसोइये कार्यरत हैं
राज्य में 65 हजार से अधिक विद्यालय मध्याह्न भोजन योजना से आच्छादित हैं। इनमें बच्चों को एक वक्त का गर्म भोजन मिलता है। भोजन पकाने का काम रसोइयों द्वारा किया जाता है। दो लाख रसोइयों पर लगभग एक करोड़ बच्चे के भोजन बनाने का दारोमदार है।


एमआईएस में मोबाइल नंबर का कॉलम जोड़ा गया
निदेशक ने बताया कि अब तक एमआईएस में रसोइयों के मोबाइल नंबर को लेकर कोई कॉलम नहीं बना था। जिस कारण उनके मोबाइल नंबर की प्रविष्टि नहीं हो पाती थी। उन्होंने बताया कि हालांकि मोबाइल नंबर के अलावा प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत रसोइयों की सभी जानकारी जैसे नाम, पता आदि की जानकारी निदेशालय के पास दर्ज है। इसके बावजूद प्रखंड और जिला स्तर के पदाधिकारियों को उनसे संपर्क करने में दिक्कत होती थी। संपर्क सूत्र समेकित रूप से एक जगह रिकॉर्ड रहेगा। बताया कि अब इसके लिए एमआईएस में एक अलग कॉलम बनाया गया है। जिसमें उनके संपर्क सूत्र की जानकारी दर्ज की जा सकेगी।



