बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बूथ लेवल ऑफिसर के दो दिवसीय क्षमता विकास कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम में बूथ लेवल ऑफिसर(बीएलओ), बीएलओ सुपरवाइजर, मतदाता पंजीकरण अधिकारी(ईआरओ) शामिल हुए. ट्रेनिंग कार्यक्रम में हरियाणा, दिल्ली और बिहार के चुनाव अधिकारी शामिल हुए.

Election Commission:चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग कड़े कदम उठा रहा है. हाल के वर्षों में विपक्षी दलों की ओर से चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाया गया है. हालांकि आयोग साफ कर चुका है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है. लेकिन राजनीतिक दलों की शिकायतों का तय समय में निवारण करने के लिए चुनाव आयोग पहले से व्यापक स्तर पर संवाद कार्यक्रम आयोजित कर चुका है.

इस कड़ी में बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बूथ लेवल ऑफिसर के दो दिवसीय क्षमता विकास कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम के तहत बूथ लेवल ऑफिसर(बीएलओ), बीएलओ सुपरवाइजर, मतदाता पंजीकरण अधिकारी(ईआरओ) शामिल हुए.

इस कार्यक्रम में हरियाणा, दिल्ली और बिहार के चुनाव अधिकारी शामिल हुए. इस कार्यक्रम में कुल 371 जमीनी स्तर पर चुनाव कराने वाले लगभग 371 अधिकारी शामिल हुए, जिसमें बिहार के 360 बीएलओ शामिल हुए. पिछले दो महीने में चुनाव आयोग ने जमीनी स्तर पर चुनाव कराने वाले 2600 अधिकारियों को ट्रेनिंग देने का काम किया है.

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ चुनाव संबंधी शिकायतों को लेकर बड़ा संवाद कार्यक्रम आयोजित किया था. इस दौरान कई सुझाव आयोग को दिए गए और इन सुझावों को अमल में लाने की दिशा में काम किया जा रहा है.

बीएलओ की भूमिका होगी महत्वपूर्ण
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जल्द ही बीएलओ को एक पहचान पत्र जारी किया जाएगा ताकि वे घर-घर जाकर मतदाता के पहचान का काम सही तरीके से कर सके. इस ट्रेनिंग कार्यक्रम का मकसद चुनावी प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने का है और आने वाले समय में यह बीएलओ विभिन्न राज्यों में बीएलओ को प्रशिक्षित करने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि सभी को जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 1950 का सख्ती से पालन करते हुए काम करना होगा.

ट्रेनिंग का मकसद मतदाता पंजीकरण, विभिन्न फार्म को भरने और जमीनी स्तर पर चुनावी प्रक्रिया का सही तरीके से पालन करने के लिए प्रशिक्षित करना है. ताकि चुनाव से पहले तैयार होने वाले मतदाता सूची को लेकर कानूनी प्रक्रिया की जानकारी हो सके. अभी तक बिहार, हरियाणा और दिल्ली में मतदाता सूची को लेकर कोई शिकायत नहीं आयी है.

