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RPCAU : बिहार के बिना देश और दुनिया का काम नहीं चल सकता – केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान.

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By Samastipur Today Desk


RPCAU : बिहार के बिना देश और दुनिया का काम नहीं चल सकता – केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान.

 

RPCAU : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के चौथे दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने विक्रमशिला छात्रावास और आर्यावर्त अंतर्राष्ट्रीय अतिथि गृह का उद्घाटन किया और दो महत्वपूर्ण पुस्तकों, ‘पूसा बिहार: कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा का जन्मस्थान’ और ‘प्राकृतिक खेती पर पाठ्यपुस्तक’ का विमोचन किया। दीक्षांत समारोह का संचालन गरिमा भारती ने किया और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय कुमार ने किया। इस समारोह में बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय सिन्हा, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर, बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी, समस्तीपुर की सांसद शांभवी और विधान पार्षद डॉ. तरुण कुमार उपस्थित थे।

 

कृषि प्रगति का किया उल्लेख : इस दौरान, कृषि मंत्री शिवराज ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा लें और कृषि क्षेत्र में नवाचार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएँ। उन्होंने पिछले एक दशक में हुई कृषि प्रगति, जैसे 40% उत्पादन वृद्धि, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज और 50 हज़ार करोड़ रुपये के बासमती चावल के निर्यात का उल्लेख किया।

 


मक्का, लीची और मखाना का किया उल्लेख : मक्का, लीची और मखाना जैसी बिहार की विशिष्ट कृषि पहचान के क्षेत्र में हुई प्रगति की सराहना करते हुए, उन्होंने मखाना बोर्ड के गठन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसानों की सेवा करना हमारा धर्म है।” उन्होंने स्टार्टअप के माध्यम से प्राकृतिक खेती, कृषि यंत्रीकरण और तकनीकी नवाचार पर ज़ोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना के तहत देश के 100 ज़िलों में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों पर भी चर्चा की।

मिथिला राजा जनक और माता सीता की भूमि : अपने संबोधन में, कृषि मंत्री ने बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का ज़िक्र किया और कहा, “मिथिलांचल राजा जनक और माता सीता की भूमि है, जिसने बुद्ध के संदेश और भारतीय ज्ञान परंपरा को दिशा दी।” उन्होंने भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद और कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि दी।

विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना : उन्होंने विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना करते हुए कहा, “डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय भारत की कृषि को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मैं हमेशा नए विचारों को सुनने के लिए उत्सुक रहता हूँ।” डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा की स्थापना 7 अक्टूबर 2016 को हुई थी, जब बिहार सरकार द्वारा 1970 में स्थापित एक राज्य कृषि विश्वविद्यालय, राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा को केंद्रीय विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया गया था। आज यह कृषि क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने वाले अग्रणी संस्थानों में से एक है।

 

 

विश्वविद्यालय आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है – कुलपति : इससे पहले, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित चतुर्थ दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति डॉ. पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है। नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। विश्वविद्यालय में आठ महाविद्यालय, 14 अनुसंधान केंद्र और 16 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। इसके अलावा, यह 10 स्नातक, 28 स्नातकोत्तर और 16 पीएचडी कार्यक्रम संचालित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि कृषि के साथ-साथ विश्वविद्यालय बागवानी, वानिकी, सामुदायिक विज्ञान, मत्स्य पालन, कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी, कृषि व्यवसाय एवं ग्रामीण प्रबंधन, प्राकृतिक खेती आदि क्षेत्रों में मानव संसाधन का विकास भी कर रहा है। पिछले 9 वर्षों में फसलों की 27 नवीनतम किस्मों, 27 नवीनतम कृषि तकनीकों का पेटेंट कराया गया है और मार्चा चावल का दर्जा प्राप्त किया गया है।

कुलपति ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए दीक्षा आरंभ कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय परंपरा और देश के प्रति समर्पण की संस्कृति को जागृत करना है। प्राकृतिक खेती के महत्व को समझते हुए विश्वविद्यालय ने प्राकृतिक खेती विद्यालय की स्थापना की है। फरवरी 2025 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत मोतिहारी में पशु प्रजनन उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई है। बिहार में 40,000 मीट्रिक टन से अधिक मशरूम का उत्पादन हो रहा है। अब तक 350 से अधिक ड्रोन पायलटों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें 35 नमो ड्रोन दीदी भी शामिल हैं।