अब बिहार में ट्रैफिक पुलिसकर्मी सिर्फ हाथों में हैंडहेल्ड डिवाइस से ही नहीं, बल्कि अपनी “तीसरी आंख” यानी बॉडी वार्न कैमरे से भी चालान काट सकेंगे। ट्रैफिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए इन कैमरों को लाइसेंस प्लेट रिकॉग्निशन सिस्टम से जोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

एडीजी ट्रैफिक सुधांशु कुमार ने बताया कि सिस्टम जुड़ने के बाद पुलिसकर्मियों के कंधे पर लगे कैमरे से कैद वीडियो या तस्वीर के आधार पर सीधे चालान निर्गत होगा। राज्य के ट्रैफिक थानों में अब तक 7,000 से अधिक बॉडी वार्न कैमरे उपलब्ध कराए गए हैं। इन कैमरों को ड्यूटी के दौरान लगातार ऑन रखना अनिवार्य है और इन्हें बंद करने की अनुमति संबंधित पुलिसकर्मी को नहीं है।

कैमरे सर्वर से जुड़े रहते हैं, जिससे सड़क पर हो रही घटनाओं को कंट्रोल रूम में लाइव देखा जा सकता है। इसमें डेटा स्टोर करने की भी सुविधा होती है। यानी ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मी के सामने घटने वाली हर घटना कैमरे में रिकॉर्ड होगी।

फिलहाल व्यवस्था
वर्तमान में पटना सहित पूरे राज्य के ट्रैफिक पुलिसकर्मी हैंड हेल्ड डिवाइस (HHD) से चालान काट रहे हैं। इसके लिए अब तक 2,000 से अधिक डिवाइस उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा चार स्मार्ट शहरों में लगे कैमरों, 61 हाइवे पेट्रोलिंग वाहनों और टोल प्लाजा पर ई-डिटेक्शन पोर्टल के जरिए भी चालान काटा जा रहा है।


ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि बॉडी वार्न कैमरों से चालान की सुविधा मिलने पर कार्रवाई और अधिक पारदर्शी हो जाएगी।


