बिहार के 33 जिलों के मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना से जुड़े जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (डीपीओ) पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगा है। एमडीएम निदेशक विनायक मिश्रा ने इन डीपीओ को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि आखिर क्यों इन्होंने मई महीने में कम से कम 15 स्कूलों का अनिवार्य निरीक्षण नहीं किया।

सिर्फ पांच जिलों में हुई जिम्मेदारी निभाने की पहल
निदेशक के मुताबिक, पूरे राज्य में केवल पांच जिलों — पश्चिम चंपारण, जहानाबाद, अररिया, समस्तीपुर और पटना — के डीपीओ ने मई माह में 15 या उससे अधिक स्कूलों का निरीक्षण किया। जबकि कई जिलों में डीपीओ ने एक भी विद्यालय का दौरा नहीं किया।

आदेश की अवहेलना, फिर भी नहीं दिया जवाब
गौरतलब है कि सभी डीपीओ को पहले ही निर्देश दिया गया था कि वे एक महीने में कम से कम 15 स्कूलों का औचक निरीक्षण टैबलेट के माध्यम से करें और एमआईएस पोर्टल पर आंकड़े अपलोड करें। 1 से 31 मई तक के आंकड़ों की समीक्षा में सामने आया कि औरंगाबाद, भागलपुर, गया, बक्सर, भोजपुर, सारण, सीवान, वैशाली समेत कई जिलों के डीपीओ ने एक भी स्कूल का दौरा नहीं किया। अरवल और शिवहर के डीपीओ ने मात्र एक-एक स्कूल का निरीक्षण किया, वहीं दरभंगा ने दो, गोपालगंज ने तीन और सुपौल ने सिर्फ पांच स्कूलों का मुआयना किया।

पहले ही माँगा गया था स्पष्टीकरण, फिर भी चुप्पी
निदेशक ने 9 जुलाई को ही सभी लापरवाह डीपीओ से स्पष्टीकरण माँगा था, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी किसी ने जवाब नहीं दिया। अब पुनः 29 जुलाई को दूसरा पत्र भेजकर एक सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया गया है। निदेशक ने कहा है कि यह रवैया न केवल आदेशों की अनदेखी है बल्कि बच्चों के हितों से भी खिलवाड़ है।


आगे की कार्रवाई संभव
निदेशक विनायक मिश्रा ने चेतावनी दी है कि यदि तय समय सीमा में जवाब नहीं दिया गया तो संबंधित डीपीओ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एमडीएम योजना की मॉनिटरिंग में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


