बिहार में सरकारी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था एक बार फिर चुनौती के दौर से गुजर रही है। राज्य के 12,350 आईसीटी लैब, जो अब तक बू मॉडल के तहत संचालित थीं, 31 जनवरी के बाद बंद हो जाएंगी। इस फैसले से लाखों छात्रों की कंप्यूटर शिक्षा पर असर पड़ेगा, जबकि नई तकनीकी शिक्षा की आवश्यकता पहले से अधिक है।
राज्य सरकार ने आदेश जारी किया है कि बू मॉडल पर आधारित सभी आईसीटी लैबों को बंद कर दिया जाएगा। इसके तहत कुल 82,495 कंप्यूटरों का संचालन 250 निजी एजेंसियों द्वारा किया जा रहा था, जिन पर सरकारी खजाने से लगभग 167 करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे। इस निर्णय के बाद न केवल लैब्स बंद होंगी, बल्कि इनमें कार्यरत 1,682 इंस्ट्रक्टर्स और 2,796 नाइट गार्ड्स की नौकरियां भी खत्म हो जाएंगी।
समस्तीपुर जिले में 326 आईसीटी लैबों में 4,260 कंप्यूटर लगाए गए थे। इन लैबों के बंद होने से जिले के 62 इंस्ट्रक्टर्स और 43 नाइट गार्ड्स की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। जिले में 7 लाख छात्रों में से सिर्फ 5.9% छात्रों को ही कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त हो पा रही थी। लैब बंद होने के बाद यह आंकड़ा और गिर सकता है।
बू (Build-Own-Operate) मॉडल में निजी कंपनियों को परियोजना के निर्माण, संचालन और स्वामित्व का अधिकार दिया जाता है। इसके विपरीत, बूट (Build-Operate-Transfer) मॉडल में संचालन के बाद परियोजना का स्वामित्व सरकार को स्थानांतरित कर दिया जाता है। नए आदेश के अनुसार, अब 4,465 विद्यालयों में बूट मॉडल पर आधारित आईसीटी लैब स्थापित की जाएंगी।
हालांकि नई लैब्स की स्थापना की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, लेकिन इसमें समय लगेगा। तब तक छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा से वंचित रहना पड़ेगा। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब राज्य सरकार चौथी कक्षा से ही कंप्यूटर शिक्षा लागू करने की योजना बना रही है।