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Bihar Govt Teacher Salary : बिहार के 40 हजार शिक्षकों को वेतन का इंतजार.

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By Samastipur Today Desk

 


 

Bihar Govt Teacher Salary : बिहार के 40 हजार शिक्षकों को वेतन का इंतजार.

 

राज्य के स्कूलों के लगभग 40 हजार शिक्षकों को वेतन का इंतजार है। इनमें टीआरई-3 के तहत विभिन्न जिलों में कक्षा एक से 12वीं तक के छह हजार शिक्षकों को चार माह से वेतन नहीं मिला है। वहीं लगभग पांच हजार प्रधानाध्यापक और 29 हजार प्रधान शिक्षकों को दो माह से तनख्वाह नहीं मिली है। त्योहारों का मौसम आ गया है। दुर्गापूजा से पहले शिक्षकों को वेतन मिलना बड़ी चुनौती है।

 

इनको वेतन नहीं मिलने कारण तकनीकी नियुक्ति न होना है। दरअसल तकनीकी नियुक्ति के लिए संबंधित शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों के साथ बीपीएससी से चयन संबंधी कागजात, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता आदि कागजात ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करना होता है। यह जिम्मेदारी संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय की है। शिक्षकों के अनुसार, जिला शिक्षा कार्यालय के अधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही और लेटलतीफी के कारण तकनीकी ज्वाइनिंग नहीं हो सकी है। इस कारण वेतन भुगतान लंबित है।

दूसरा कारण संबंधित शिक्षकों का एचआरएमएस ऑनबोर्डिंग नहीं होना है। शिक्षकों की जन्मतिथि, नाम, मोबाइल नंबर के मिसमैच के कारण एचआरएमएस ऑन बोर्डिंग नहीं हो रहा है। शिक्षकों को प्रान नंबर नहीं मिलना भी कारण है। ऐसे भी शिक्षक हैं, जो टीआरई-1 या टीआरई 2 के तहत चयनित होकर किसी अन्य जिले में कार्यरत थे, लेकिन टीआरई-3 के तहत चयनित होकर अपने पसंद वाले जिले में आ गए हैं।

ऐसे काफी शिक्षकों का पुराने वाले जिले से सभी कागजात वर्तमान जिले में नहीं आया है। शिक्षकों, प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को वेतन भुगतान समय पर हो, इसके लिए शिक्षा विभाग ने जिलों को पत्र भी भेजा है। इधर, बिहार शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से वेतन भुगतान तुरंत करने की मांग की है। विशिष्ट अध्यापक प्रधान शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर शिक्षकों, प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों का दुर्गापूजा के पहले वेतन भुगतान कराने की मांग की है।

तकनीकी ज्वाइनिंग क्या है?

शिक्षा विभाग के पोर्टल पर शिक्षकों के सभी प्रमाणपत्र अपलोड होने के बाद विभाग में इनका तकनीकी योगदान माना जाता है। चयनित शिक्षकों को शैक्षणिक और प्रशिक्षण संबंधित सभी कागजात के साथ ही आधार, आवासीय आदि प्रमाणपत्र देना होता है। सभी कागजात प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) के पास आते हैं। जिलों में डीपीओ (स्थापना) को शिक्षकों के कागजात विभागीय पोर्टल पर अपलोड कराने की जिम्मेदारी है।