Bihar Election : क्या बिहार में NDA के लिए विधानसभा सीटों का बंटवारा करना काफी मुश्किल होगा? यह सवाल केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की बिहार चुनाव को लेकर तैयारियों के बाद उठ रहा है। पार्टी ने ऐलान किया है कि चिराग खुद भी विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं और राज्य की 243 में 38 सीटें ऐसी हैं, जिन पर एनडीए के सहयोगी दलों के बीच बंटवारे को लेकर लड़ाई देखने को मिलेगी।

इसे लेकर राज्य की एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रही जेडीयू में बेचैनी दिखाई दे रही है क्योंकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का कहना है कि पार्टी उन सीटों पर दावा करेगी, जहां पर पिछले विधानसभा चुनाव में उसके उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया था।

याद दिलाना होगा कि तब लोजपा ने जेडीयू को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था और चिराग पासवान ने बगावती तेवर दिखाते हुए एनडीए से अलग चुनाव लड़ा था। उस वक्त लोक जनशक्ति पार्टी में टूट नहीं हुई थी।

2020 के चुनावों में अविभाजित लोजपा को 38 में से 32 सीटों पर जेडी(यू) से ज्यादा वोट मिले थे। इन 32 सीटों में से कम से कम 26 पर लोजपा को जेडी(यू) की हार के अंतर से ज़्यादा वोट मिले थे। पांच दूसरी सीटों पर लोजपा दूसरे नंबर पर रही थी। बची एक सीट- मैथानी पर लोजपा ने 333 वोटों के मामूली अंतर से जीत दर्ज की थी।

2020 में बिहार की 243 सीटों में से बीजेपी ने 110, जेडीयू ने 115, वीआईपी ने 13 और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) ने 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। बीजेपी ने 74 , जेडीयू ने 43, वीआईपी और हम (सेकुलर) ने 4-4 सीटों पर जीत हासिल की थी।

2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के खराब प्रदर्शन के पीछे चिराग पासवान को ही बड़ी वजह माना गया था। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, कई सीटों पर जेडीयू की हार में लोजपा की भूमिका रही थी जबकि वह चुनाव में सिर्फ एक ही सीट जीत पाई थी।

साल 2023 में लोजपा (रामविलास) की एनडीए में वापसी हुई और इससे चिराग को फायदा हुआ क्योंकि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 में जिन पांच सीटों पर चुनाव लड़ी सभी पर उसे जीत मिली और चिराग मोदी सरकार में मंत्री बने।

