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Samastipur News: पूसा यूनिवर्सिटी में विकसित कृषि संकल्प अभियान को लेकर कुलपति ने दी जानकारी.

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By Samastipur Today Desk


Samastipur News: पूसा यूनिवर्सिटी में विकसित कृषि संकल्प अभियान को लेकर कुलपति ने दी जानकारी.

 

समस्तीपुर में विकसित कृषि संकल्प अभियान के लिए डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने 720 वैज्ञानिकों की टीम बनाई गई है। टीम ने 1756 कृषि प्रसार पदाधिकारी के साथ मिलकर अब तक 993 गांवों का अबतक दौरा किया है।

 

वैज्ञानिकों की टीम ने 96475 किसानों के पास पहुंचकर उनकी समस्या सुनी और उनकी समस्या का समाधान बताया है। ‌डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर पीएस पांडे ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि इस अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 29 मई को की थी। यह अभियान पूरे देश में 12 जून तक चलेगा।

कुलपति ने बताया कि समृद्ध देश होने के लिए किसानों का समृद्ध होना भी बहुत जरूरी है। जिसको देखते हुए प्रधानमंत्री ने यह संकल्प अभियान की शुरुआत की है। अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिकों की टीम अलग-अलग गांव में पहुंचकर सीधा किसानों से संवाद कर रहे हैं , उनकी समस्या सुन रहे हैं। और समाधान का तरीका भी बता रहे हैं।

बिहार झारखंड को मिलाकर 174 टीम बनाई

बिहार झारखंड को मिलाकर 174 टीम बनाई गई है जिन्हें 975000 किसानों तक पहुंच कर संवाद करना है। बिहार में 130 टीम काम कर रही है जिन्हें 645000 किसानों के पास पहुंचना है। उन्होंने बताया कि डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय , पूसा की ओर से 13 जिलों में 16 कृषि विज्ञान केंद्रों की ओर से 38 टीम बनाई गई है। जिनका लक्ष्य 190000 किसानों से संवाद करना है।

कुलपति ने अभियान के उद्देश्य पर की चर्चा

कुलपति डॉक्टर पीएस पांडे ने खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों से संबंधित आधुनिक तरीकों के बारे में किसानों को टीम की ओर से जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड में सुझाई गई।

विभिन्न फसलों के चयन और संतुलित खाद के प्रयोग के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को अच्छा एग्रीकल्चर प्रैक्टिस के बारे में भी बताया जा रहा है।

गांव के पास पहुंच रहे कृषि वैज्ञानिक के किसानों के लिए सरकार की चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी देकर उन्हें जागरूक किया जा रहा है। इस योजना का वह कैसे फायदा ले सकते हैं और इसके साथ ही किसानों से उन्हें फीडबैक लेना है। जिससे कि उनकी ओर से किए गए नवाचार के बारे में वैज्ञानिक जान सके उनके अनुसार अनुसंधान की दिशा का निर्धारण कर सके। ‌