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Samastipur News: सड़क हादसे में समस्तीपुर के दो युवकों की मौत, दोनों इंजीनियरिंग के छात्र थे.

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By Samastipur Today Desk

 


 

Samastipur News: सड़क हादसे में समस्तीपुर के दो युवकों की मौत, दोनों इंजीनियरिंग के छात्र थे.

 

लखीसराय-जमुई बॉर्डर पर नोनगढ़ चेक पोस्ट के पास गुरुवार सुबह तेज रफ्तार ऑटो सड़क किनारे खड़े ट्रक से टकरा गई। हादसे में इंजीनियरिंग के 3 छात्रों की मौत हो गई। सभी शिव सोहना इंजीनियरिंग कॉलेज में तीसरे सेमेस्टर के छात्र थे। परीक्षा खत्म होने के बाद घर जा रहे थे।

 

मृतकों में 2 छात्र समस्तीपुर के रहने वाले थे। जिसकी पहचान पंकज कुमार और सरोज कुमार के तौर पर हुई है। मौत की खबर सुनते ही पंकज के घर में कोहराम मच गया। उजियारपुर के बैकुंठ ब्रहंडा गांव में मातम पसरा हुआ है। घर आने से पहले बुधवार रात को फोन पर पंकज की अपने दादा से बात हुई थी।

बहन से कहा था राखी पर आऊंगा। रक्षा बंधन से पहले भाई की मौत की खबर सुनने के बाद छोटी बहन अंजली टूट चुकी है। छोटे भाई अंकित की कलाई को देखकर बड़े भाई की याद में बार-बार बेहोश हो जा रही है। दादी सुमित्रा देवी भी बेसुध पड़ी हैं। कुछ बोलने की हालत में नहीं है।

पोते की जगह मौत की खबर मिली

रोते हुए पंकज के दादा सुरेंद्र साह ने कहा, ‘पोते ने रात में फोन किया था। कहा था कि एग्जाम खत्म हो गया है। सुबह 10 बजे तक घर आ जाऊंगा। लखीसराय से बाघ एक्सप्रेस पकड़ेंगे। पोता घर तो नहीं आया, लेकिन उसकी मौत की खबर आई।’

पंकज के पिता रविशंकर साह गांव में चौक पर चाय नाश्ते की दुकान चलाते हैं। उन्होंने बताया कि घर का बड़ा बेटा था। पेट काटकर उसे पढ़ा रहा था। सॉफ्टवेयर डेवलपर का स्टूडेंट था। इंजीनियर बनकर परिवार का नाम रौशन करना चाहता था। एक झटके में सब खत्म हो गया। शनिवार को घर आया था, लेकिन कैंपस सिलेक्शन की सूचना पर रविवार को लखीसराय लौट गया था। किसे पता था बेटा अब लौटकर नहीं आएगा।

परिवार का सपना टूट गया

वहीं, विभूतिपुर पूरब पंचायत के खदियाही निवासी संदीप कुमार पंडित के घर में भी कोहराम मचा हुआ है। पुत्र सरोज कुमार का शव पोस्टमार्टम के बाद गुरुवार देर शाम गांव पहुंचा। डेड बॉडी देखते ही मां-बहन बेसुध हो गईं। पूरे गांव में गम का माहौल है। पिता बात करने की हालत में नहीं है।

इकलौती बहन सोनाली कुमारी डेड बॉडी देखते ही बेहोश हो गई। भाई ने राखी पर घर आने का वादा किया। ‘केकरा राखी बांधवे हो भैया’ बोलते हुए बार-बार बेसुध हो रही थी। परिवार के लोगों ने सरोज को लेकर बड़ा सपना देखा था। मूर्ति कला से अलग हटकर शिक्षा के क्षेत्र में परिवार को आगे बढ़ाना चाहते थे। लेकिन उनका सपना टूट गया।

दादा कमलेश पंडित ने बताया कि बुधवार की रात करीब 8 बजे सरोज ने फोन किया। उसने बताया था कि थर्ड ईयर की परीक्षा समाप्त हो गई है। गुरुवार सुबह ट्रेन से घर आ रहे हैं। 9 से 10 बजे के करीब घर पहुंच जाएंगे। लेकिन उसकी जगह उसका शव आया।