समस्तीपुर जिले में मॉब लिंचिंग की घटना और छात्रा हत्याकांड के विरोध में न्याय की मांग को लेकर आम जनता में आक्रोश है। दोषियों की गिरफ्तारी न होने और पुलिस की लाठीचार्ज कार्रवाई के विरोध में भाकपा-माले और इंसाफ मंच ने कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन ने जिले में प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
16 अगस्त को ताजपुर के रहीमाबाद वार्ड-3 निवासी सजलूम कुरैशी पर विद्यापतिनगर थाना के मऊ बाजार में मॉब लिंचिंग की गई थी। गोमांस के कारोबार के आरोप में कुरैशी को बेरहमी से पीटा गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। हालांकि, 112 नंबर की पुलिस टीम ने उन्हें भीड़ से छुड़ाकर अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन घटना के कई हफ्ते बाद भी मुख्य आरोपी, जिनमें चंदन झा प्रमुख हैं, पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं। घटना के दौरान चंदन झा का फोटो बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी के साथ वायरल हुआ, जिससे मामला और संवेदनशील हो गया है।
सोमवार को इंसाफ मंच और भाकपा-माले के कार्यकर्ताओं ने दोषियों की गिरफ्तारी और लाठीचार्ज में शामिल पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए कलेक्ट्रेट के सामने धरना दिया। इस दौरान वक्ताओं ने पुलिस की निष्क्रियता की आलोचना की और गिरती कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए। भाकपा माले जिला सचिव प्रो. उमेश कुमार ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो-फुटेज के आधार पर दोषियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए, लेकिन प्रशासन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा।
वहीं, इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष मो. नेयाज अहमद ने सभा को संबोधित करते हुए घटना को निंदनीय बताया और नवादा के महादलितों के घर जलाने की घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। डॉ. खुर्शीद खैर ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाना अत्यंत अन्यायपूर्ण है।
सभा में महावीर पोद्दार ने भी 15 सितंबर की रात जितवारपुर हकीमाबाद गांव की लापता छात्रा की हत्या के मामले पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, जिसके कारण लोगों को प्रदर्शन करना पड़ा और इस पर पुलिस ने बर्बरता से लाठीचार्ज किया। उन्होंने निर्दोष लोगों की तुरंत रिहाई की मांग की।