समस्तीपुर में बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई के समूल समापन के लिए आवश्यक है कि बिहार के सभी पंचायतों में मुखिया के देखरेख में पंचायत सचिव द्वारा आंगनबाड़ी सेविका के अनुमोदन पर विवाह का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया जाए।
कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान करना होगा
जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र, क्राई -चाइल्ड राइट्स एंड यू तथा कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में अख्तियारपुर कार्यालय के सावित्रीबाई फुले सभागार में आयोजित किशोर-किशोरी संवर्धन कार्यशाला में बोलते हुए जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र के सचिव सुरेन्द्र कुमार नें उक्त विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार चाहती है कि हमारे प्रदेश से बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई का अंत हो तो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन कर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान करना होगा, यदि पंचायत में किसी भी तरह से बाल विवाह होंने की घटना घटित होती है तो आंगनबाड़ी सेविका, वार्ड सदस्य, मुखिया, पंचायत सचिव, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी सहित प्रखंड विकास पदाधिकारी पर क़ानूनी कार्रवाई हो, तो ऐसी घटनाएं नहीं होंगी। बाल संरक्षण के दिशा में किए जाने वाले प्रयास सफल होंगे। यह तभी संभव होगा जब पंचायतों को विवाह पंजीकरण का अधिकार प्राप्त होगा।
बाल संरक्षण समितियां हो सशक्त
वार्ड और पंचायत स्तर पर गठित बाल संरक्षण समितियों को सशक्त और संवेदनशील बनाना होगा। नियमित रूप से फॉलो-अप होगा। मौके पर उपस्थित जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र की कोषाध्यक्ष सह बाल अधिकार कार्यकर्ता वीणा कुमारी नें बताया कि पंचायत स्तर पर किशोर किशोरियों को बारहवीं तक मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा और की व्यवस्था और उसे सुगमता से हासिल करने के साधन विकसित करनें से भी बाल विवाह और बाल दूर्व्यापार के दर को कम करनें में सहायक होगा।
इसी प्रकार बाल विवाह मुक्त भारत अभियान अंतर्गत लोगों को जागरूक और संवेदनशील बनानें की कोशिश कर रहे हैं। एक्सेस टू जस्टिस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन अलायंस, बचपन बचाओ आंदोलन के साथ मिलकर देश भर के तक़रीबन 411 जिलों में 262 स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से यह अभियान चलाया जा रहा है।