समस्तीपुर के महिला कॉलेज ने अपने पूर्व संगीत विभागाध्यक्ष प्रो. जान्हवी मुखर्जी के असमय निधन पर शोक सभा का आयोजन किया। उनके योगदान और व्यक्तित्व को याद करते हुए शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने गहरी संवेदना प्रकट की। सितार वादन की महान परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ने वाली प्रो. मुखर्जी का संगीत और उनकी सरलता हमेशा याद की जाएगी।
रविवार की शाम प्रो. जान्हवी मुखर्जी के निधन से समस्तीपुर के शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। 1942 में जन्मी और 1975 में वीमेंस कॉलेज में बतौर संगीत शिक्षिका योगदान देने वाली प्रो. मुखर्जी न केवल एक कुशल कलाकार थीं, बल्कि भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली मार्गदर्शक भी थीं।
महिला कॉलेज की प्रधानाचार्या प्रो. सुनीता सिन्हा ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “प्रो. जान्हवी मुखर्जी एक सरल और स्नेही व्यक्तित्व थीं। उनके सितार वादन में परंपरा और आधुनिकता का अनोखा संगम था, जिसने भारतीय संगीत को नई पहचान दी।”
शोकसभा में प्रो. अरुण कुमार कर्ण, प्रो. बिगन राम, और अन्य शिक्षकों ने भी उनके योगदान को याद किया। प्रो. कर्ण ने कहा कि “महाविद्यालय ने अपने एक स्तंभ को खो दिया है।” वहीं, प्रो. बिगन राम ने कहा, “वह न केवल एक संगीत शिक्षक थीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा थीं।”
परिवार और क्षेत्र के लोगों के लिए भी यह एक बड़ी क्षति है। उनके पुत्र डॉ. सुप्रियो मुखर्जी ने प्रार्थना करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि जिस नए संसार में उन्होंने कदम रखा है, वहां उन्हें शांति मिले। उनका जीवन और उनकी उपलब्धियां हमारे लिए प्रेरणा हैं।”
केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने भी संवेदना प्रकट करते हुए कहा, “प्रो. जान्हवी मुखर्जी का संगीत हमारी आत्मा में जीवंत है। उनकी मुस्कान और उनके सुरों की मिठास अमिट है।”