Samastipur

Samastipur News: समस्तीपुर में डॉक्टरों की एक दिवसीय ट्रेनिंग, नवजात को सांस लेने में दिक्कत होने पर बताया उपाय.

Photo of author
By Samastipur Today Desk

 


 

Samastipur News: समस्तीपुर में डॉक्टरों की एक दिवसीय ट्रेनिंग, नवजात को सांस लेने में दिक्कत होने पर बताया उपाय.

 

समस्तीपुर के सदर अस्पताल में बुधवार को नवजात शिशुओं में सांस की दिक्कतों को लेकर विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बताया कि जन्म के तुरंत बाद यदि नवजात शिशु को सांस लेने में कठिनाई हो रही है या वह रो नहीं रहा है, तो उसे कृत्रिम सांस देना आवश्यक है, जिससे उसकी जान बचाई जा सकती है।

 

सिविल सर्जन ने बताया कि नवजात श्वसन संकट सिंड्रोम (NRDS) तब होता है जब शिशु के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं होते और उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह समस्या ज्यादातर समय से पहले जन्मे बच्चों में पाई जाती है। इसे हाइलाइन झिल्ली रोग या सर्फेक्टेंट की कमी से उत्पन्न फेफड़ों का रोग भी कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि कई बार चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर ऐसे मामलों में बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज कर लेते हैं, लेकिन सामान्य MBBS डॉक्टरों को इस बारे में विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस ट्रेनिंग का आयोजन किया गया, ताकि सभी डॉक्टर नवजात शिशुओं की इस समस्या को पहचानकर सही समय पर इलाज कर सकें।

ट्रेनिंग के दौरान डॉक्टर नागमणि राज, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. इश्रत, और डॉ. आशुतोष ने सदर अस्पताल के MBBS डॉक्टरों को नवजात शिशुओं को कृत्रिम सांस देने की तकनीकें विस्तार से समझाईं। इस प्रक्रिया के जरिए नवजातों की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है, क्योंकि जन्म के बाद सांस की समस्या से दो प्रतिशत नवजात शिशुओं की मृत्यु होने की संभावना रहती है।

ट्रेनरों ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नवजातों की जान बचाना और मृत्यु दर को कम करना है। ट्रेनिंग के जरिए डॉक्टरों को सिखाया गया कि किस प्रकार की त्वरित और सटीक चिकित्सा नवजातों की जीवन रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।