Patna Water Metro : रेल मेट्रो के बाद अब बिहार की राजधानी पटना को वाटर मेट्रो परियोजना की सौगात मिलने जा रही है। यह पटना और उसके आसपास के वैशाली, सोनपुर को नदी के रास्ते जोड़ेगी। केरल के कोच्चि के बाद पटना देश का दूसरा शहर होगा जहां वाटर मेट्रो की शुरुआत होगी। केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल से यह योजना जल्द ही पटना और आसपास के इलाकों के लिए यातायात की नई क्रांति साबित हो सकती है।

इस संबंध में कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड के विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय टीम ने हाल ही में गंगा में इस परियोजना के लिए विभिन्न घाटों का निरीक्षण किया है। निरीक्षण के बाद वाटर मेट्रो के प्रस्तावित रूट की रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है।

छह बंदरगाहों से होकर गुजरेगी जल मेट्रो :
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के निदेशक अरविंद कुमार के अनुसार यह जल मेट्रो पहलेजा घाट (छपरा) से शुरू होकर बिदुपुर घाट (वैशाली) तक चलेगी। इस दौरान यह दीघा घाट, एनआईटी घाट, कोनहारा घाट, हरिहरनाथ मंदिर घाट और कंगन घाट से होकर गुजरेगी। इस पूरे रूट की कुल लंबाई करीब 50 किलोमीटर होगी।

जुलाई में फिर आएगी विशेषज्ञों की टीम:
जल्द ही कोच्चि मेट्रो के विशेषज्ञों की टीम एक बार फिर पटना पहुंचेगी। जुलाई में टीम बरसात के मौसम में गंगा में पानी के बहाव, बहाव और जलस्तर का आकलन करेगी। यह अध्ययन इसलिए जरूरी है ताकि जल मेट्रो के जहाज के लिए सही इंजन क्षमता तय की जा सके। गंगा में जलस्तर घटने या बढ़ने पर जहाजों के संचालन के लिए तकनीकी जरूरतें बदल जाती हैं। इस अध्ययन के आधार पर इंजन निर्माण और जेटी निर्माण की योजना तैयार की जाएगी।

पहले चरण में छह बंदरगाहों का होगा विकास :
पहले चरण में जल मेट्रो के लिए छह प्रमुख बंदरगाहों का विकास किया जाएगा। इसमें पहेलिया घाट, दीघा घाट, एनआईटी घाट, कोनहारा घाट, कंगन घाट और बिदुपुर घाट शामिल हैं। एनआईटी घाट पर पहले से बने जेटी को और बेहतर बनाया जाएगा। साथ ही गाय घाट को भी योजना में शामिल किए जाने की संभावना है।


ये होगी मुख्य दूरी :
- पहेलिया घाट से दीघा घाट: 10.62 किमी
- दीघा घाट से एनआईटी घाट: 6.63 किमी
- एनआईटी घाट से कोनहारा घाट (हरिहरनाथ मंदिर): 8.32 किमी
- एनआईटी घाट से कंगन घाट: 7 किमी
- कंगन घाट से बिदुपुर घाट: 10.7 किमी
जलयान सौर ऊर्जा से चलेगा :
जल मेट्रो में एक बार में 100 यात्रियों के सफर करने की व्यवस्था होगी। इसमें 50 यात्रियों के बैठने और 50 के खड़े होकर सफर करने की जगह होगी। यह जलयान इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से चलेगा और इसे सौर ऊर्जा से भी चलाया जा सकेगा। इसके संचालन के लिए केवल एक मीटर से भी कम पानी की गहराई की आवश्यकता होगी, जो आमतौर पर गंगा में उपलब्ध है। इसका किराया 20 से 40 रुपये के बीच तय किया जाएगा, जो आम जनता के लिए काफी किफायती होगा।

