सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल को होने वाली बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से बुधवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने 70वीं बीपीएससी संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।

पीठ ने सभी अभ्यर्थियों के लिए दोबारा परीक्षा कराने के लिए निर्णायक साक्ष्यों का अभाव बताया। शीर्ष अदालत का यह आदेश ‘आनंद लीगल ऐड फोरम ट्रस्ट’ द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर आया है।

डिजिटल साक्ष्य दर्शाते हैं कि प्रश्नपत्र लीक हुआ : याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दलील दी कि व्हाट्सएप संदेश और वीडियो क्लिप आदि डिजिटल साक्ष्य दर्शाते हैं कि परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र लीक हो गए थे। प्रकाश ने कहा कि ऐसे एक वीडियो में कथित तौर पर एक परीक्षा केंद्र पर लाउडस्पीकर के जरिए प्रश्नों के उत्तरों की घोषणा किये जाते हुए सुनी जा सकती है।


सिर्फ दो प्रश्नों के उत्तर हू-ब-हू मिले : बिहार सरकार और बीपीएससी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने परीक्षा प्रणाली की पवित्रता का बचाव किया। बताया कि प्रश्नपत्रों के चार अलग-अलग सेट इस्तेमाल किए गए थे, जिनमें एकरूपता को रोकने के लिए प्रश्नों का क्रम बदल दिया गया था। कोचिंग सेंटर की सामग्री के साथ समानताओं पर उन्होंने स्पष्ट किया कि 150 प्रश्नों में से केवल दो ही हू-ब-हू नकल पाए गए।

