Bihar News : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) में खरीफ 2025 की तैयारी के तहत दो दिवसीय अनुसंधान परिषद की बैठक आयोजित की गई, जिसमें वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और गणमान्य लोगों ने विश्वविद्यालय की अनुसंधान दिशा और आगामी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. पीएस पांडेय ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए विश्वविद्यालय अब इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के साथ मिलकर कार्बन फार्मिंग पर अनुसंधान करेगा। इसरो ने इस परियोजना के लिए वित्तीय सहायता की पुष्टि की है।

इस दौरान डॉ. पांडेय ने वैज्ञानिकों से अनुसंधान की गति और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाने का आह्वान करते हुए इसे विश्वविद्यालय की अनुसंधान प्रगति का प्रतीक बताया। उन्होंने बताया कि हाल ही में 89 नए संकाय सदस्यों ने योगदान दिया है, जिससे अनुसंधान क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। उन्होंने इन युवा वैज्ञानिकों से किसानों की जरूरतों को केंद्र में रखते हुए छोटे और मध्यम जोत वाले किसानों के लिए उपकरण और तकनीक विकसित करने की अपील की।

स्मार्ट कृषि मशीनों पर जोर: इस बैठक में डिजिटल कृषि और एआई-सक्षम स्मार्ट मशीनों के विकास पर भी जोर दिया गया। डॉ. पांडे ने केसर की खेती को वातानुकूलित एवं कम लागत वाली प्रणाली में विकसित करने की संभावनाओं को तलाशने के निर्देश दिए, साथ ही पैकेजिंग एवं शेल्फ लाइफ बढ़ाने पर शोध की आवश्यकता को रेखांकित किया।

बैठक में नवसारी एवं जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एआर पाठक ने पूसा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की सराहना की तथा स्पीड ब्रीडिंग एवं माइक्रोबायोम पर शोध की संस्तुति की। वहीं, निदेशक शोध डॉ. एके सिंह ने लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की दिशा में हुई प्रगति की जानकारी दी तथा 11 नई शोध परियोजनाओं पर चर्चा की।


बैठक में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित, भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. सी. तारा सत्यवती, सभी महाविद्यालयों के डीन, विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिक मौजूद थे। बैठक के दौरान मौजूदा शोध कार्यों की समीक्षा के साथ ही नई परियोजनाओं की संभावनाओं पर विचार किया गया।


