बिहार सरकार ने छात्रों के लिए मुफ्त इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राज्य में छात्रों को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने फीस को बेहद सस्ती कर दिया है। इसके साथ ही, शिक्षण संस्थानों में रिक्त पदों की बहाली को लेकर भी अहम घोषणाएं की गई हैं।
बिहार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुमित कुमार सिंह ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में केवल 10 रुपये प्रति माह और पॉलिटेक्निक संस्थानों में 5 रुपये प्रति माह की ट्यूशन फीस ली जा रही है। इसका उद्देश्य है कि किसी भी छात्र की शिक्षा आर्थिक तंगी के कारण बाधित न हो और उन्हें दूसरे राज्यों में पढ़ाई के लिए न जाना पड़े। मंत्री ने बताया कि राज्य में फिलहाल 38 इंजीनियरिंग और 45 पॉलिटेक्निक संस्थान हैं, जो अपने भवनों में सुचारू रूप से संचालित हो रहे हैं। साथ ही, इन संस्थानों में खाली पड़े 2671 पदों पर जल्द ही बहाली की जाएगी। पिछले दो वर्षों में 1458 इंजीनियरिंग शिक्षकों और 727 पॉलिटेक्निक शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास किया गया है।
विभाग की सचिव डॉ. प्रतिमा ने बताया कि न केवल शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है, बल्कि उनके कौशल विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। हाल ही में, IIT रुड़की ने बिहार के 300 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है, जिससे वे उभरती तकनीकों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें और छात्रों को बेहतर शिक्षा दे सकें।
इसके अलावा, सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में IIT पटना के सहयोग से “सेंटर ऑफ एक्सलेंस” भी स्थापित किए गए हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, थ्री डी प्रिंटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीकों में छात्रों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। इस योजना का कुल बजट 97 करोड़ रुपये रखा गया है, और दूसरे चरण में ट्रांसफार्मर मरम्मति तथा ऑप्टिकल फाइबर जैसी तकनीकों को शामिल किया जाएगा, जिसकी कुल लागत 122.86 करोड़ रुपये होगी।