Bihar Election : बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, सियासी तापमान तेजी से चढ़ रहा है। खासकर इन दो घटनाक्रमों ने महागठबंधन (कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों) को सरकार पर निशाना साधने का नया मौका दे दिया है। एक ओर आरएसएस और भाजपा नेताओं द्वारा संविधान की प्रस्तावना से “धर्मनिरपेक्षता” और “समाजवाद” शब्द हटाने की मांग की जा रही है, तो दूसरी ओर चुनाव आयोग द्वारा शुरू किया गया विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम सवालों के घेरे में आ गया है।

महागठबंधन ने इन दोनों मुद्दों को जोड़कर सत्तारूढ़ भाजपा-जदयू गठबंधन पर हमला तेज कर दिया है। उन्होंने इसे संविधान के अस्तित्व पर खतरा बताते हुए दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक मतदाताओं को जागरूक करने की मुहिम छेड़ दी है।

दलित-OBC और अल्पसंख्यकों पर फोकस :
महागठबंधन का मुख्य उद्देश्य अपने कोर वोटर्स यानी दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को एकजुट करना है। वे इसे संविधान की रक्षा की लड़ाई बता रहे हैं। कांग्रेस और राजद का यह प्रयास केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि वह इसे जमीनी स्तर पर “संविधान बचाओ” अभियान का रूप देने में लगे हैं।

आरएसएस-भाजपा के बयान पर बवाल :
आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों के दौरान आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “धर्मनिरपेक्षता” और “समाजवाद” शब्द आपातकाल के समय संविधान में जोड़े गए थे और इनका मूल संविधान से कोई लेना-देना नहीं है। इस बयान को महागठबंधन ने संविधान के सिद्धांतों पर सीधा हमला बताया है।

राहुल गांधी का सीधा आरोप :
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस संविधान से डरते हैं क्योंकि वह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। वे मनुस्मृति के जरिए समाज को फिर से ऊंच-नीच में बांटना चाहते हैं और बहुजन व गरीब तबके को उनके अधिकारों से वंचित करना चाहते हैं।

चुनाव आयोग पर भी उठे सवाल :
वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग अब एकतरफा निर्णय कर रहा है। आमतौर पर चुनाव से जुड़ी प्रक्रियाओं पर सभी दलों की बैठक कर निर्णय लिया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि 2003 में जब बिहार में पिछली बार विशेष पुनरीक्षण हुआ था, तब घर-घर सर्वे में दो साल लगे थे। जबकि अब केवल एक माह का समय दिया गया है, वह भी वर्षा के मौसम में, जो अव्यावहारिक है।
तेजस्वी यादव ने बताया लोकतंत्र पर हमला :

राजद नेता तेजस्वी यादव ने इसे गरीब और पिछड़े वर्गों के मताधिकार पर हमला बताते हुए कहा कि यह भाजपा की सोची-समझी साजिश है ताकि उनके समर्थकों के वोट ही खत्म कर दिए जाएं। बिहार चुनाव से पहले ये मुद्दे अब राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गए हैं, और संविधान की रक्षा की लड़ाई ने राजनीतिक रंग ले लिया है।

