समस्तीपुर में जल संकट ने समय से पहले ही अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। अप्रैल की शुरुआत में ही बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर असामान्य रूप से घटने लगा है, जो आमतौर पर गर्मी के चरम में देखने को मिलता था। यह संकेत आने वाले दिनों में जिले को किस ओर ले जा सकता है, इस पर चिंता बढ़ती जा रही है।

शहर के बीच से गुजरने वाली बूढ़ी गंडक नदी इस बार अप्रैल में ही सिकुड़कर किनारों को छोड़ चुकी है। जितवारपुर, बहादुरपुर, हकिमाबाद, अंगारघाट सहित एक दर्जन से अधिक इलाकों में नदी की धारा अब बेहद पतली रह गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इस मौसम में नदी को इतना सूखा नहीं देखा।

इस जल संकट का प्रभाव सिर्फ नदियों तक ही सीमित नहीं रहा। जिले के अधिकांश तालाब और नाले पूरी तरह सूख चुके हैं, जिससे भूजल स्तर में भारी गिरावट आई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, समस्तीपुर शहर में जलस्तर औसतन 26 फीट नीचे चला गया है, जबकि पूसा प्रखंड में यह 27 फीट तक पहुंच गया है। मोहिउद्दीननगर और मोहनपुर जैसे गंगा किनारे के इलाके भी 23 फीट नीचे जलस्तर दर्ज कर चुके हैं।


जलस्तर की इस गिरावट को लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED) सतर्क हो गया है। विभाग के कार्यपालक अभियंता कुमार अभिषेक ने बताया कि लगातार बारिश की कमी और जल स्रोतों के सूखने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने बताया कि जिले में हर 15 दिन पर भूजल की निगरानी की जा रही है और रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जा रही है।

राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के मुताबिक, वर्ष 2024 में जिले में महज 783 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य औसत 1250 मिमी माना जाता है। जुलाई को छोड़कर बाकी महीनों में वर्षा औसतन 80% कम रही। नवंबर, दिसंबर और जनवरी में तो बारिश नाम मात्र भी नहीं हुई। इसका सीधा असर मिट्टी की नमी और नदी-नालों की सेहत पर पड़ा है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल सत्तार का कहना है कि इस स्थिति से सिर्फ सिंचाई ही नहीं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित होगी। उन्होंने चेताया कि नमी की कमी से केंचुआ, मेढ़क और अन्य सूक्ष्म जीवों का जीवन संकट में है, जो खेती के लिए अत्यंत जरूरी हैं। इनकी अनुपस्थिति से फसलों पर हानिकारक कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है।
PHED ने एहतियातन आठ वाटर टैंकों को सुरक्षित रखा है, और नल-जल योजनाओं की नियमित जांच की जा रही है ताकि आने वाले दिनों में पेयजल संकट से निपटा जा सके।
