समस्तीपुर जिले में रबी की खेती करने वाले किसान इस बार डीएपी खाद की भारी कमी और कालाबाजारी के कारण दोहरी मार झेल रहे हैं। सरकारी गोदामों में खाद की उपलब्धता कम है, जबकि दुकानदार निर्धारित कीमत से अधिक वसूल रहे हैं। इस स्थिति ने किसानों की परेशानियों को बढ़ा दिया है।
डीएपी की कमी के चलते किसान सुबह 4 बजे से गोदामों के बाहर कतार में लग रहे हैं, लेकिन अधिकांश को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। सिंघिया प्रखंड में किसान लंबे समय से इस समस्या से जूझ रहे हैं। किसानों का आरोप है कि पहुंच और दबंगई का इस्तेमाल कर कुछ लोग रात में ही गोदाम से खाद उठा लेते हैं, जिससे आम किसानों को दिनभर इंतजार के बाद भी खाद नहीं मिलती।
शिवाजीनगर प्रखंड में डीएपी 1350 की जगह 1800-1900 रुपये में बेचा जा रहा है। खानपुर और चकमेहसी में भी कालाबाजारी चरम पर है। यहां यूरिया और डीएपी दोनों ही अधिक दाम पर बेचे जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि अधिकारी शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
ताजपुर प्रखंड में हालात और भी खराब हैं। यहां इफको के गोदाम में 500 बैग डीएपी उपलब्ध कराए गए थे, जो एक ही दिन में खत्म हो गए। हसनपुर में 1600 रुपये प्रति बैग की कीमत पर भी किसानों को सिर्फ एक या दो बैग ही मिल रहे हैं।
जिला कृषि पदाधिकारी दिनकर प्रसाद ने स्वीकार किया कि मांग के अनुसार डीएपी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि कालाबाजारी रोकने के लिए छापेमारी की जाएगी। इफको संचालक अजय कुमार ने बताया कि अगले सप्ताह तक डीएपी उपलब्ध होने की उम्मीद है।