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PUSA Agricultural University : समस्तीपुर के किसान अब लीची से बना रहे शहद.

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By Samastipur Today Desk

 


 

PUSA Agricultural University : समस्तीपुर के किसान अब लीची से बना रहे शहद.

 

बिहार की उपजाऊ भूमि पर उगने वाली शाही लीची अब सिर्फ स्वाद और सुगंध की वजह से नहीं, बल्कि नवाचार और संभावनाओं की वजह से भी चर्चा में है। समस्तीपुर के किसान न केवल लीची की पारंपरिक खेती कर रहे हैं, बल्कि अब इस फल से शहद बनाने जैसे प्रयोग भी कर रहे हैं। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने की नई राह खुल रही है।

 

समस्तीपुर में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित लीची उत्सव के दौरान किसानों और वैज्ञानिकों के बीच नवाचार के कई पहलुओं पर चर्चा हुई। इस मौके पर बिहार के अलग-अलग जिलों से आए किसानों ने लीची की शाही, चायना, बेदाना, बोंबई, मंदराजी जैसी विभिन्न किस्मों का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में भारत सरकार के बागवानी आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार और विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पीएस पांडे मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उन्होंने किसानों द्वारा लगाए गए स्टॉल का निरीक्षण किया और लीची आधारित उत्पादों जैसे शहद पर विशेष रुचि दिखाई।

डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि लीची उत्पादन को बहु-उत्पाद प्रणाली से जोड़कर किसानों की आय को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। लीची से तैयार किया जा रहा शहद न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी है। इसके लिए मधुमक्खी पालन को लीची बगानों में बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है।

कुलपति डॉ. पीएस पांडे ने बताया कि लीची के खराब होने की समस्या से निपटने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा संरक्षण तकनीक पर शोध किया जा रहा है। लीची सामान्यतः 15 से 20 दिनों के भीतर सड़ने लगती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। यदि यह शोध सफल होता है, तो किसान लीची को लंबे समय तक संरक्षित कर बाजार में बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे।

विद्यापति भवन सभागार में लीची व लीची से तैयार उत्पादों पर आयोजित सेमिनार में देश भर से आए वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस दौरान लीची की नई प्रजातियों, प्रबंधन तकनीकों, और प्रसंस्करण की संभावनाओं पर गहन चर्चा की गई।