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Success Story : बचपन में बेचते थे कबाड़ ! फिर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी, जानिए इनके बारे में.

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By Samastipur Today Desk
Success Story : बचपन में बेचते थे कबाड़ ! फिर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी, जानिए इनके बारे में.

 

 

Success Story : बिहार के एक साधारण मारवाड़ी परिवार में जन्मे अनिल अग्रवाल का बचपन आर्थिक तंगी के बीच बीता। उनके पिता का एक छोटा सा कारोबार था, लेकिन अनिल बचपन से ही बड़े सपने देखते थे। 19 साल की उम्र में उन्होंने पिता का कारोबार छोड़ दिया और मुंबई चले गए। सिर्फ एक टिफिन बॉक्स और थोड़े से पैसों के साथ अनिल ने मुंबई में नए सिरे से शुरुआत की। वहां का नया माहौल, डबल डेकर बसें और पीली टैक्सियां ​​उनके संघर्ष का हिस्सा बन गईं। 1970 में उन्होंने कबाड़ के कारोबार से अपने कारोबारी सफर की शुरुआत की। उनकी मेहनत और लगन ने इस कारोबार में उन्हें अच्छा पैसा कमाया, जो उनके आगे के बड़े सपनों का आधार बना।

   

असफलताओं से सीखने की अदम्य इच्छा :

कबाड़ के कारोबार में सफल होने के बाद अनिल ने अलग-अलग क्षेत्रों में कदम रखा, लेकिन शुरुआती प्रयासों में उन्हें असफलता ही हाथ लगी। उन्होंने नौ अलग-अलग कारोबार शुरू किए, लेकिन सभी असफल रहे। इन असफलताओं ने उन्हें मानसिक तनाव और अवसाद की स्थिति में भी पहुंचा दिया। इसके बावजूद अनिल ने हार नहीं मानी और हर असफलता से कुछ नया सीखा। उनका मानना ​​था कि असफलता ही सफलता की सीढ़ी है। उनका संघर्ष इस बात का सबूत है कि लगातार मेहनत और आत्मविश्वास से सफलता हासिल की जा सकती है।

इंडस्ट्री में बड़ा कदम और ऐतिहासिक शुरुआत :

अनिल अग्रवाल को बड़ा मौका 1986 में मिला, जब भारत सरकार ने निजी क्षेत्र को टेलीफोन केबल बनाने की अनुमति दी। उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को खरीदा और 1990 में कॉपर रिफाइनिंग का कारोबार शुरू किया। यह इस क्षेत्र में उतरने वाली भारत की पहली निजी कंपनी थी। अग्रवाल की दूरदर्शिता और कड़ी मेहनत ने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को सफलता दिलाई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड की स्थापना के साथ उनका सफर और भी ऊंचाइयों पर पहुंच गया।

वैश्विक स्तर पर वेदांता का दबदबा :

आज अनिल अग्रवाल वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के चेयरमैन हैं, जो एक प्रमुख वैश्विक प्राकृतिक संसाधन कंपनी है। यह कंपनी खनिज, तेल और गैस के निष्कर्षण और प्रसंस्करण में अग्रणी है। करीब 64,000 कर्मचारियों और ठेकेदारों के साथ, वेदांता के उत्पाद दुनिया भर में बेचे जाते हैं। अनिल की सफलता की यात्रा उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत का नतीजा है। उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उनके संघर्ष ने साबित कर दिया कि हिम्मत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

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