दिल्ली विधासभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म होने जा रहा है. उससे पहले चुनाव आयोग राजधानी में चुनाव के नतीजों का ऐलान कर देगा. माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में केजरीवाल की राह आसान नहीं है. क्योंकि जिस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वह चुनाव लड़कर दिल्ली की सत्ता में दो बार आए खुद ही भ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे हैं. ऐसे में सूबे में लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है. ऐसे में पार्टी इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी सहयोगी दलों को भी साथ ले सकती है. इसमें सबसे प्रमुख बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का नाम शामिल है.
दिल्ली की सत्ता से 27 साल से दूर है BJP
बता दें कि केंद्र में लगातार तीन बार सरकार बनाने वाली बीजेपी पिछले 27 साल से दिल्ली की सत्ता से दूर है. बीते दिनों पार्टी के अंदरूनी सर्वे में आगामी विधान सभा चुनाव में 43.4 फीसदी वोट मिलने की संभावना के बाद बीजेपी ने इसको 46 फीसदी तक ले जाने का टारगेट रखा है. ऐसे में महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव नतीजों के बाद दिल्ली पर फोकस बढ़ेगा. इसके लिए आरएसएस ने भी कमर कस लिया है. आरएसएस के स्वंयसेवक हर बूथ पर 5 लोगों से मुलाकात कर रहे हैं.
दिल्ली की इन सीटों पर NDA लड़ सकता है चुनाव
पार्टी सूत्रों ने बताया कि जेडीयू और एलजेपी को संगम विहार, बुराड़ी, सीमापुरी सहित कुछ मुस्लिम बहुल सीटें दी जा सकती हैं. पार्टी ने सहयोगी दलों को तीन से पांच सीटें देने का मन बनाया है. इसके पीछे कारण माना जा रहा है कि इन सीटों पर बिहार के रहने वालों लोगों की अच्छी संख्या है. इसके साथ ही मुस्लिम वोटरों में नीतीश और चिराग को लेकर कहीं न सॉफ्ट कॉर्नर है.