बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण कानून में संशोधन को खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह मामला राज्य सरकार के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह निर्णय दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के आरक्षण में वृद्धि से संबंधित है।
मंगलवार को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई। राज्य के महाधिवक्ता पीके शाही ने याचिका की पुष्टि की और कहा कि इस मामले को उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचार के लिए प्रस्तुत किया गया है। यह याचिका अधिवक्ता मनीष कुमार के माध्यम से दायर की गई।
आरक्षण कानून में संशोधन राज्य सरकार द्वारा जाति आधारित गणना के बाद किया गया था। इस संशोधन के तहत दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़ाकर 65 कर दिया गया था। यह निर्णय राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना गया था, लेकिन इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसने इस संशोधन को खारिज कर दिया।