बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलाधिकारियों को विद्यालय निरीक्षण के लिए नया टास्क सौंपा है। इसके तहत जिलाधिकारी अपने स्तर से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को छोड़कर अन्य पदाधिकारियों और पर्यवेक्षकों से विद्यालयों का निरीक्षण कराएंगे। इस संबंध में डॉ. सिद्धार्थ ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भी भेजा है।
निरीक्षण और अनुश्रवण की आवश्यकता:
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों में निरीक्षण और अनुश्रवण की व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके, विभाग के कमांड और कंट्रोल सेंटर (टोल फ्री नंबर 14417 और 18003454417) पर विद्यालय की व्यवस्था पर शिकायतें आ रही हैं। इन शिकायतों से स्पष्ट होता है कि निरीक्षण और अनुश्रवण में कुछ गड़बड़ी हुई है। इसलिए जिलाधिकारी अपने स्तर से विद्यालयों का निरीक्षण कराएंगे।
जिलाधिकारियों की भूमिका:
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य स्तर पर प्राप्त शिकायत पत्र जिला पदाधिकारी को उनके नोडल पदाधिकारी के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे। जिलाधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने जिले में एक नोडल पदाधिकारी (उप समाहर्ता) को अविलंब नामित करें। इन शिकायत पत्रों की स्वतंत्र जांच गैर शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों से कराई जाएगी और ई-शिक्षा कोष के माध्यम से प्रतिवेदन सीधे अपर मुख्य सचिव को उपलब्ध कराई जाएगी।
समन्वय के लिए नामित अधिकारी:
डॉ. सिद्धार्थ ने शिक्षा विभाग की ओर से समन्वय के लिए जन शिक्षा निदेशक सह अपर सचिव अनिल कुमार को नामित किया है। निरीक्षण और अनुश्रवण के कार्य को प्रभावी बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है ताकि विद्यालयों की व्यवस्था में सुधार हो और विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
इस निर्णय से उम्मीद की जा रही है कि विद्यालयों की निरीक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार आएगा और शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।