समस्तीपुर जिले की पंचायतों में शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। पंचायती राज विभाग ने 346 पंचायतों में पुस्तकालय स्थापित करने की योजना बनाई है, जो ग्रामीण क्षेत्र में ज्ञान और सूचना के प्रसार में अहम भूमिका निभाएगी।
इस पहल के तहत, प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर फिजिकल और डिजिटल दोनों प्रकार के पुस्तकालय संचालित होंगे। यह पुस्तकालय पंचायत सरकार भवन में स्थापित किए जाएंगे। जहां पंचायत सरकार भवन उपलब्ध नहीं है, वहां सामुदायिक भवन या अन्य सुविधाजनक स्थान का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए पंचायतें स्थानीय भवन मालिकों से समझौता कर पुस्तकालय का संचालन करेंगी। अपर सचिव कल्पना कुमारी के निर्देशानुसार, इन पुस्तकालयों के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रति वर्ष लगभग 2 लाख रुपये साहित्य की किताबों पर व्यय किए जाएंगे। संविधान की 11वीं अनुसूची के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में पुस्तकालय के विकास और संवर्द्धन का प्रावधान है, जिसे बिहार पंचायत राज अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत को ग्रामीण पुस्तकालय एवं वाचनालय संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई है।
पुस्तकालयों में अधिकतम दो अखबार, महिला सशक्तीकरण, बाल विकास और ग्रामीण लेख विकास से संबंधित मासिक पत्रिका तथा अन्य उपयुक्त पत्र-पत्रिकाओं पर प्रति वर्ष 5,000 रुपये तक खर्च किया जा सकेगा। विभाग द्वारा अनुशंसित साहित्य की पुस्तकों की सूची भी भेजी गई है, ताकि पंचायतें साहित्यिक किताबों का चयन कर सकें। पुस्तकालय के लिए न्यूनतम 300 वर्गफीट जगह की आवश्यकता होगी। इसके लिए पंचायत कार्यालय में एक कमरा चिन्हित किया जाएगा, जिसमें किताबें रखने के लिए अलमीरा, बुक सेल्फ, अध्ययन डेस्क और टेबल आदि की व्यवस्था की जाएगी। पुस्तकालय में प्रतिदिन एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक अखबार उपलब्ध कराया जाएगा, जिसका भुगतान पंचायत कोष से होगा।
पुस्तकालय की सदस्यता निशुल्क होगी और सदस्य 100 रुपये की सुरक्षा जमा पर 15 दिनों के लिए अधिकतम तीन किताबें ले जा सकेंगे। पुस्तकालय में चार प्रमुख प्रशाखाएं होंगी: डिजिटल लर्निंग, बाल साहित्य, समाचार पत्र और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए अलग-अलग सेक्शन। प्रत्येक पुस्तकालय में इंटरनेट युक्त दो कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर आदि की सुविधा होगी, और अवांछित वेबसाइटों पर प्रतिबंध रहेगा।