समस्तीपुर: वर्ष 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले तत्कालीन कुछ राजनेताओं के कुटनीति का परिणाम है. अंग्रेज शुरू से ही भारत काे अपना गुलाम बना रखे थे और चाहते थे कि भारत का विभाजन हो. जबकि, तत्कालीन कुछ राजनेताओं ने विभाजन का विरोध भी किया था. इसके बाद भी विभाजन हो गया. लेकिन, इस विभाजन की त्रासदी को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उक्त बातें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री सह उजियारपुर के सांसद नित्यानंद राय ने कही. वे बुधवार को भाजपा जिला कमेटी की ओर से सरकारी बस पड़ाव में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस में सभा को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान काे एक मुस्लिम देश के रूप में बनाया गया. लेकिन, एक तरह से वर्ष 1906 में ही मुस्लिम लीग ने इसकी बुनियाद को पक्की कर दी थी. पाकिस्तान के कायदे आजम मो अली जिन्ना धर्म के आधार पर देश का विभाजन चाहते थे. जबकि, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु भी अंग्रेजों को अपने वश में कर रखा था.
विभाजन के बाद बहुत सारे लोग पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान और हिंदुस्तान छोड़कर पाकिस्तान गये. इस दौरान मातृभूमि के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है. इससे पूर्व कई अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे. मौके पर स्थानीय विधान पार्षद डा तरुण कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा, पूर्व जिलाध्यक्ष रामसुमरण सिंह, रोसड़ा के विधायक वीरेन्द्र कुमार, वीरेन्द्र यादव, महिला मोर्चा के गीतांजली कुमारी, प्रभात कुमार समेत काफी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे.