Bihar Politics : बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले ही यहां राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। कोई समझ नहीं पा रहा है कि क्या चल रहा है और क्या होने वाला है। हां, इतना जरूर है कि कुछ पक रहा है। ऐसा यूं ही नहीं कहा जा रहा है। इसी बीच आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मिलने राजभवन पहुंचे। उन्होंने राजभवन में नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से औपचारिक मुलाकात की। इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर से भी मुलाकात की और उन्हें विदाई दी।
आपको बता दें कि आरिफ मोहम्मद खान 30 दिसंबर को पटना पहुंचे थे। पटना एयरपोर्ट पर बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने उनका स्वागत किया था। उसके बाद राजभवन में मौजूदा राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने उनका स्वागत किया। वहीं, बिहार के सीएम नीतीश कुमार कल रात दिल्ली से पटना लौटे और आज यानी 31 दिसंबर की सुबह उन्होंने राजभवन में नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से औपचारिक मुलाकात की। इस दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार का शॉल देकर स्वागत किया, जबकि नीतीश कुमार ने उन्हें उपहार स्वरूप स्मृति चिन्ह भेंट किया। आरिफ मोहम्मद खान बुधवार 2 जनवरी को बिहार के राज्यपाल के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे।
क्या कुछ पक रहा है?
राजनीति की भी अपनी ‘मौन भाषा’ होती है और मौजूदा राजनीति में नीतीश कुमार इस ‘कला’ में सबसे माहिर बताए जाते हैं। हाल के दिनों में नीतीश कुमार की खामोशी से बिहार की राजनीति में मची हलचल को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की इस मुखरता (नीतीश कुमार के साथ नहीं जाने की बात कहकर) ने जरूर ठंडा कर दिया, लेकिन राजनीति को समझने वाले अभी भी नीतीश कुमार की खामोशी की वजह तलाश रहे हैं। उनकी राजनीति की शैली पर गौर करें तो यह भी कुछ इशारा करती है।
भाजपा सांसद ने दी सफाई :
राजनीति पर चर्चा तेज हुई तो भाजपा की ओर से भी बयान जारी किया गया। भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सफाई दी। इसके साथ ही एक्स पर लिखा था- ‘नीतीश कुमार जी बिहार का अगला विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ेंगे और बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाएंगे। वे जब भी चाहेंगे माननीय प्रधानमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलते रहेंगे। मेरी जानकारी के अनुसार उनका सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के परिवार के सदस्यों से मिलने का कार्यक्रम था।’
निशिकांत दुबे ने सफाई तो दी लेकिन इस बीच यह चर्चा और तेज हो गई कि आखिर भाजपा को नीतीश कुमार पर सफाई क्यों देनी पड़ रही है। बिहार की राजनीति में इन दिनों जो कुछ भी हो रहा है उसका असर देश की राजनीति पर पड़ सकता है। बिहार की राजनीति में पर्दे के पीछे बहुत कुछ हो रहा है लेकिन अभी उसे साफ तौर पर पढ़ा नहीं जा रहा है।