समस्तीपुर जिले के किसान इस समय भारी संकट से गुजर रहे हैं। सब्जी उत्पादन में अभूतपूर्व मेहनत के बावजूद उन्हें लागत से भी कम कीमत मिल रही है। मंडियों की वीरानगी और सब्जियों के घटते दामों ने किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। सवाल उठता है कि आखिर कब तक किसानों को इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा?
समस्तीपुर जिले में 30 हजार हेक्टेयर भूमि पर सब्जियों की खेती होती है, जिसमें करीब डेढ़ लाख किसान शामिल हैं। इन दिनों यहां की थोक मंडियों में सब्जियों के भाव सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। गोभी और पत्तागोभी जैसी सब्जियां केवल दो रुपये प्रति किलो में बिक रही हैं, जबकि बैंगन और मूली भी बेहद कम कीमतों पर बेचे जा रहे हैं।
ताजपुर की मोतीपुर सब्जी मंडी में पिछले एक हफ्ते से व्यापारियों की कमी साफ देखी जा सकती है। दरभंगा, मधुबनी और बहेड़ी जैसे इलाकों से आने वाले व्यापारी अब मंडियों का रुख नहीं कर रहे हैं। मांगलिक कार्यों में गिरावट और खरीददारों की कमी ने हालात और बदतर कर दिए हैं।
किसानों का कहना है कि दो रुपये प्रति किलो की दर से सब्जी बेचने पर भी उन्हें मात्र एक रुपये प्रति किलो का लाभ मिलता है, क्योंकि गद्दीदार अपने कमीशन के रूप में बाकी रकम ले लेते हैं। यह स्थिति किसानों के लिए असहनीय होती जा रही है।
पूसा क्षेत्र की थोक मंडियों में भी स्थिति अलग नहीं है। यहां सब्जी उत्पादकों को कौड़ियों के भाव पर अपने उत्पाद बेचने पड़ रहे हैं। दूसरी ओर, बिचौलिये मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।