Village Of Bihar Became Mini Kolkata : सीतामढ़ी का बैरहा गांव फूलों की खेती से बना ‘मिनी कोलकाता’

 Village Of Bihar Became Mini Kolkata  : बिहार के सीतामढ़ी जिले के बथनाहा प्रखंड के बैरहा गांव ने फूलों की खेती के जरिए अपनी एक अनूठी पहचान बनाई है। इस गांव को अब ‘मिनी कोलकाता’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां बड़े पैमाने पर गेंदे, मोगरा और रजनीगंधा जैसे फूलों की खेती होती है। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक साबित हुई है, बल्कि सीतामढ़ी और आसपास के जिलों को फूलों की जरूरत के लिए बंगाल पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।

   

कैसे बदली गांव की तस्वीर?

करीब 10-12 साल पहले तक गांव के किसान पारंपरिक खेती करते थे, जिसमें मुनाफा कम होता था। एक किसान को उसके रिश्तेदार ने फूलों की खेती के बारे में बताया, जिसके बाद उन्होंने दो एकड़ में फूलों की खेती शुरू की। शुरुआती सफलता के बाद अन्य किसान भी इससे जुड़ने लगे, और देखते ही देखते गांव की अधिकांश आबादी फूलों की खेती में जुट गई।

फूलों की डिमांड और खेती का विस्तार

बैरहा गांव के फूलों की मांग केवल सीतामढ़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि ये मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, मोतिहारी और यहां तक कि नेपाल तक सप्लाई किए जाते हैं। 40 एकड़ क्षेत्रफल वाले इस गांव में लगभग 30 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती होती है। यहां गेंदा, मोगरा और रजनीगंधा की कई प्रजातियों की खेती होती है।

कमाई और रोजगार

गांव के करीब 125 किसान इस खेती से जुड़े हुए हैं। किसानों के अनुसार, एक बीघा जमीन पर फूलों की खेती से लगभग एक लाख रुपये की शुद्ध आय होती है, जो पारंपरिक फसलों के मुकाबले कहीं अधिक है। खासतौर पर शादी-ब्याह और त्योहारों के मौसम में फूलों की भारी मांग रहती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। फूलों की माला बनाने और अन्य कार्यों के लिए ग्रामीणों को रोजगार भी मिलता है।

 

रजनीगंधा की खेती की शुरुआत

गेंदे के बाद किसानों ने रजनीगंधा (ट्यूब रोज) की खेती शुरू की। लगभग 25 किसान अब रजनीगंधा की खेती कर रहे हैं। कुछ किसानों ने दो कट्ठा तो कुछ ने 10 कट्ठा तक जमीन पर इसकी खेती शुरू की है। इसके लिए उन्हें प्लांटिंग मटेरियल और बीज सरकारी सहायता से उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

सरकारी सहायता और समूह बनाकर खेती

फूलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को समूह बनाकर काम करने की सलाह दी जा रही है। विभागीय सहायता के तहत प्लांटिंग मटेरियल और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, जिससे फूल उत्पादन में और सुधार हो सके।

बैरहा गांव: एक प्रेरणा

बैरहा गांव की यह कहानी बताती है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से किस तरह पारंपरिक खेती से हटकर नई संभावनाओं का रास्ता बनाया जा सकता है। फूलों की खेती न केवल किसानों के जीवन स्तर को सुधार रही है, बल्कि यह अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा बन रही है।

   

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