समस्तीपुर में बीपीएससी शिक्षक बहाली के दौरान हुए फर्जीवाड़े की जांच को दो महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन जांच की प्रक्रिया अब भी अधूरी है। तत्कालीन जिला अधिकारी द्वारा गठित टीम को तीन दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण यह प्रक्रिया अटकी हुई है।
बीपीएससी शिक्षक बहाली में हुए फर्जीवाड़े की जांच के लिए समस्तीपुर जिला प्रशासन द्वारा एक वरिष्ठ अधिकारियों की टीम गठित की गई थी, जिसका नेतृत्व अपर समाहर्ता आपदा राजेश कुमार सिंह कर रहे हैं। टीम को तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश थे, लेकिन लगभग दो महीने बीत चुके हैं और जांच प्रक्रिया अब भी लंबित है।
समस्या की जड़ में शिक्षा विभाग का सहयोग न मिल पाना है। जांच कमेटी के अध्यक्ष राजेश सिंह ने शिक्षा विभाग को संदिग्ध पाए गए 23 शिक्षकों की सूची का सत्यापन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। हालांकि, हफ्तों बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग की तरफ से कोई रिपोर्ट नहीं आई है, जिससे जांच कमेटी की आगे की कार्रवाई रुक गई है। यह मामला अब लगभग अंतिम चरण में है, लेकिन जब तक संदिग्ध शिक्षकों के योगदान का सत्यापन नहीं होता, कमेटी अपनी रिपोर्ट पूरी नहीं कर पाएगी।
इस बीच, विभूतिपुर प्रखंड के बीईओ कृष्णदेव महतो के खिलाफ तीन बार प्रपत्र-क का गठन होने के बावजूद उन्हें दलसिंहसराय प्रखंड का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है। तत्कालीन डीएम योगेंद्र सिंह ने फर्जीवाड़े की प्रारंभिक जांच में बीईओ को दोषी पाया था, फिर भी उन्हें दोनों प्रखंडों की जिम्मेदारी दी गई है, जो इस मामले में और सवाल खड़े करता है।