शुक्रवार को समस्तीपुर की सड़कों पर वामपंथी दलों ने एकजुट होकर सांसद शांभवी चौधरी के विवादास्पद बयान के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। सांसद द्वारा समस्तीपुर की पहचान पर दिए गए बयान ने न केवल यहां की जनता को आक्रोशित किया, बल्कि वामपंथी दलों को भी सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया।
सीपीआई, सीपीआई (एम), और सीपीआई (एमएल) के संयुक्त नेतृत्व में आयोजित इस प्रतिवाद मार्च ने शहर के स्टेशन चौक पर एक जनसभा में तब्दील होकर सांसद के बयान की कड़ी आलोचना की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि समस्तीपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को कमतर आंकने वाला यह बयान न केवल अपमानजनक है, बल्कि जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि समस्तीपुर की धरती जननायक कर्पूरी ठाकुर, पूर्व राज्यपाल सत्यनारायण सिंह, और पूसा कृषि विश्वविद्यालय जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं की वजह से राष्ट्रीय पहचान रखती है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव सुरेंद्र कुमार सिंह मुन्ना ने कहा, “सांसद शांभवी चौधरी का यह बयान उनके समस्तीपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान के प्रति अज्ञानता को दर्शाता है।”
सभा में पूर्व जिला पार्षद रामप्रीत पासवान और सीपीआई (एम) के जिला सचिव रामाश्रय महतो ने भी अपनी बात रखी। उनका कहना था कि समस्तीपुर की भूमि सदैव समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता की मिसाल रही है, और इसे किसी एक व्यक्ति की पहचान तक सीमित करना यहां की जनता के साथ अन्याय है। उन्होंने सांसद से इस आपत्तिजनक बयान पर माफी मांगने की मांग की। सभा के दौरान बड़ी संख्या में लाल झंडों के साथ मौजूद वामपंथी कार्यकर्ताओं ने नारे लगाते हुए सांसद के बयान का विरोध किया। इस सभा की अध्यक्षता भाकपा के सुधीर कुमार देव ने की और विभिन्न नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। वक्ताओं ने यह भी कहा कि समस्तीपुर की जनता ने हमेशा समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का समर्थन किया है, और इस तरह के बयान जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हैं।