Samastipur News: समस्तीपुर में स्नातक में पर्यावरण शिक्षा होगी अनिवार्य, मिलेंगे अतिरिक्त क्रेडिट प्वाइंट.

समस्तीपुर : जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. अब सभी स्नातक छात्रों के लिए पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है, चाहे वे किसी भी विषय का अध्ययन कर रहे हों. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को यह निर्देश दिया है कि वे अपने पाठ्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा को शामिल करें, जिससे छात्रों को पर्यावरण से जुड़े खतरों के प्रति जागरूक किया जा सके और उन्हें एक पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. यूजीसी द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, स्नातक के दौरान छात्रों को पर्यावरण शिक्षा से संबंधित एक विशेष पाठ्यक्रम पढ़ना होगा, जिसके लिए उन्हें चार अतिरिक्त क्रेडिट प्वाइंट मिलेंगे.

   

यह क्रेडिट प्वाइंट उनके अकादमिक रिकॉर्ड में जोड़े जाएंगे और डिग्री या मार्कशीट में दर्ज किए जायेंगे. इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों को पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरूक बनाना है, जिससे वे अपने जीवन में पर्यावरण हितैषी दृष्टिकोण अपनायें. यूजीसी ने पर्यावरण शिक्षा का पाठ्यक्रम भी तैयार किया है, जिसमें प्रमुख विषय जैसे, मानव और पर्यावरण के बीच संबंध, प्रदूषण के प्रकार और उनके खतरे, स्थानीय पर्यावरणीय मुद्दे आदि सम्मिलित है. इन विषयों के अलावा, छात्रों को पर्यावरणीय संकटों से निपटने के व्यावहारिक उपायों पर भी जानकारी दी जायेगी. यह कोर्स छात्रों को 160 घंटे के अध्ययन के माध्यम से पूरा करना होगा, जिसमें सैद्धांतिक अध्ययन के साथ-साथ प्रैक्टिकल का भी समावेश होगा.

महिला कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डा. विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि यह कोर्स नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लागू किया गया है, जिसमें पर्यावरण शिक्षा को महत्वपूर्ण माना गया है. छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने की पहल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत शुरू की गई थी, लेकिन इसे व्यापक रूप से लागू करने में अब तेजी आई है. इस शिक्षा प्रणाली के तहत हर एक क्रेडिट प्वाइंट के लिए छात्रों को 30 घंटे की पढ़ाई करनी होगी, जिससे वे 160 घंटे के पाठ्यक्रम के अंतर्गत चार क्रेडिट प्वाइंट अर्जित कर सकेंगे.

 

पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भूमिका
माना जा रहा है कि इस पहल से युवा पीढ़ी न केवल पर्यावरणीय समस्याओं को समझेगी, बल्कि उनके समाधान में भी सक्रिय भूमिका निभायेगी. पर्यावरण शिक्षा छात्रों को उनके रोजमर्रा के जीवन में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना पैदा करने में सहायक होगी, जिससे वे जागरूक नागरिक के रूप में समाज में योगदान दे सकेंगे. इस नए कदम से छात्रों को न केवल उनके अकादमिक करियर में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें पर्यावरण के प्रति सजग बनाकर भविष्य के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण का निर्माण करने में भी सक्षम बनाया जायेगा. यूजीसी की यह पहल न केवल शिक्षा प्रणाली में सुधार लाएगी, बल्कि समाज में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा बदलाव लाने का भी काम करेगी.

स्नातक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य बनाना एक दूरदर्शी कदम है, जो युवाओं को पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करेगा. यह पहल न केवल छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बनायेगी, बल्कि उन्हें समाज में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए प्रेरित करेगी. अतिरिक्त क्रेडिट प्वाइंट के साथ, यह शिक्षा प्रणाली छात्रों को अकादमिक और व्यक्तिगत विकास दोनों में मदद करेगी. इस तरह, आने वाले वर्षों में एक जिम्मेदार और पर्यावरण-संवेदनशील पीढ़ी का निर्माण होगा, जो जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी.

   

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