आईएएस अधिकारी संजीव हंस को बड़ी राहत देते हुए पटना हाई कोर्ट ने उनके विरुद्ध दुष्कर्म एवं धोखाधड़ी से संबंधित प्राथमिकी को मंगलवार को रद्द कर दिया है। उल्लेखनीय है कि एक दूसरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद कुछ दिन पहले ही संजीव हंस को ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव के पद से हटा दिया गया था।
न्यायाधीश संदीप कुमार की एकल पीठ ने संजीव हंस की क्रिमिनल रिट याचिका को स्वीकृति देते हुए उनके विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया है। कोर्ट ने पाया कि दुष्कर्म के इस मामले में प्राथमिकी काफी देर से दर्ज की गई। प्राथमिकी औरंगाबाद की एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई थी।
गुलाब यादव पर भी लगा संगीन आरोप
आरोप था कि राजद के तत्कालीन विधायक गुलाब यादव ने उसे धोखे से अपने फ्लैट पर बुलाकर दुष्कर्म किया और फिर उसका वीडियो बनाया। उसके बाद वीडियो के आधार पर उसको ब्लैकमेल किया गया।
संजीव हंस पर दुष्कर्म का आरोप
उसे दिल्ली और पुणे जैसे शहरों के बड़े होटलों में बुलाकर गुलाब यादव और उसके पार्टनर संजीव हंस ने दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के कारण उसे एक बच्चा भी हुआ है।
महिला ने आरोप लगाया था कि 2022 में पटना पुलिस में दुष्कर्म की शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। इसके बाद महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिकी दर्ज करने की गुहार लगाई थी।
कोर्ट के आदेश पर 2023 के जनवरी में पटना के रूपसपुर थाने में संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के विरुद्ध दुष्कर्म, ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था।