समस्तीपुर और दरभंगा के बीच रेल दोहरीकरण परियोजना, जो 2015 में शुरू हुई थी, अब 2025 तक पूरी होने की संभावना है। इस परियोजना में कई पुलों के निर्माण में हो रही देरी मुख्य बाधा बनी हुई है, जिससे यात्रियों और स्थानीय निवासियों की उम्मीदें टूट रही हैं।
2015 में 519 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुए इस महत्वाकांक्षी रेल दोहरीकरण परियोजना का उद्देश्य समस्तीपुर और दरभंगा के बीच यातायात को सुगम बनाना था। हालांकि, अब तक केवल 28 किलोमीटर रेलवे लाइन ही बिछाई जा सकी है, जबकि 12 किलोमीटर का कार्य अभी बाकी है। इस परियोजना को चार चरणों में विभाजित किया गया था, जिनमें से तीन चरण पूरे हो चुके हैं। समस्तीपुर से रामभद्रपुर और दरभंगा से थलवारा के बीच की रेल लाइन बिछाई जा चुकी है, लेकिन रामभद्रपुर-हायाघाट और हायाघाट-थलवारा के बीच पुल निर्माण के कारण काम अटका हुआ है।
बागमती और करेह नदियों पर बनने वाले पुलों की धीमी गति से निर्माण, इस परियोजना की मुख्य चुनौती बन गई है। पुल नंबर 14, 15, 15ए, 16, और 17 का निर्माण अभी जारी है, जिनके बिना अंतिम 12 किलोमीटर की रेलवे लाइन नहीं बिछाई जा सकती। पुलों के निर्माण में हो रही देरी के कारण, 40 किलोमीटर की इस रेल परियोजना के पूरा होने में अब दो साल से अधिक का समय लग सकता है, जबकि रेलवे ने मार्च 2025 का लक्ष्य रखा है।
डीआरएम विनय श्रीवास्तव के अनुसार, इस परियोजना को मूल रूप से तीन चरणों में विभाजित किया गया था, लेकिन निर्माण कार्य में हो रही देरी के कारण इसे पांच चरणों में बांट दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने इस परियोजना को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है, जिससे दो साल तक काम सही से नहीं हो पाया। अब युद्धस्तर पर काम चल रहा है, और रेलवे के अभियंता इसे समय सीमा के भीतर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।